संत रामपाल जी को विशेष ज्ञान तिथि बोध


"सतगुरु रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 में गांव धनाना, तहसील गोहाना, जिला सोनीपत (हरियाणा )में एक किसान परिवार में हुआ इनके पिता जी का नाम भक्त नंदराम व माता जी का नाम भगतमति इंदिरा देवी है "

 " परिवार से महाराज जी के माता पिता भी भक्ति करते थे"

"महाराज जी जूनियर इंजीनियर का डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद हरियाणा सरकार की सिंचाई विभाग में जेई के पद पर नियुक्त हो गए"

" कुछ दिनों तक हरियाणा सरकार की नौकरी करने के बाद महाराज जी ने भक्ति विषेश के लिए नौकरी से इस्तीफा दे दिया"

संत रामपाल जी महाराज विशेष खाटू श्याम जी व कृष्ण हनुमान जी व अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा करते थे

 देवी देवताओं की पूजा करने के बाद महाराज जी को प्रभु की प्राप्ति नहीं होती थी, इसलिए संत महात्माओं से मुलाकात करते रहते थे,

"एक दिन आपकी मुलाकात कबीर पंथ महान संत 107 वर्षीय स्वामी रामदेवानंद जी महाराज से हुई "

एक दिन संत रामपाल जी ने गुरु स्वामी राम देव आनंद जी महाराज जी से पूछा कि प्रभु की प्राप्ति और मानसिक शांति कैसे मिले ? तब स्वामी राम देव आनंद जी ने पूछा आप कैसी उपासना करते हो ?

"महाराज संत रामपाल जी ने बताया कि खाटू श्याम जी कृष्ण भगवान हनुमान जी के मंदिरों में जाकर हम व्रत त्योहार रखते हैं और पूजा करते हैं तब स्वामी राम देव आनंद जी ने बताया कि यह जो उपासना करते हो यह ना तो प्रभु प्राप्ति के लिए ना  मानसिक शांति के लिए "

कबीर जी ने कहा कि :-

माई मसानी सेढ़ शीतला भैरव भूत हनुमंत। साहिब से न्यारा रहे जो इनको पूजंत।।

 पत्थर पूजे हरि मिले तो मैं पूजू पहाड़।

 ताते से चक्की भली पीस खाए संसार।।

संत श्री राम देव आनंद जी महाराज ने बताया जो भी आप उपासना करते हो इससे प्रभु प्राप्त नहीं हो सकती और ना ही मानसिक शांति क्योंकि यह उपासना ज्योति निरंजन काल ब्रह्म के द्वारा फैलाई गई एक मिथ्या जाल है।

 वेदों में प्रमाण है कि कबीर देव ही पूर्णब्रह्म है"

(ज्योति निरंजन 21 ब्रह्मांड का कुल मालिक वेदों में श्रीमद भगवत गीता में प्रमाण है, और कबीर सागर में दिया गया है)

 स्वामी राम देव आनंद जी की बातें सुनकर संत रामपाल जी महाराज के मन में उथल-पुथल सी हो गई और भक्ति की तड़प बनी, सन 17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने गुरु स्वामी रामदेव आनंद जी महाराज जी से नाम उपदेश दीक्षा ग्रहण की

 महाराज संत रामपाल जी को सतनाम सारनाम प्राप्ति हुई और परमात्मा की घोर भक्ति की जिससे 1 दिन में पूर्ण ब्रह्म कबीर साहिब का साक्षात्कार हुआ,

 सन 1994 में नाम दान देने की आज्ञा महाराज संत रामपाल जी को प्राप्त हुई

संत रामपाल जी महाराज को विशेष नाम दीक्षा देने की आदेश इस सन् को प्राप्त हुआ "

 1 दिन शिष्य संत रामपाल जी महाराज अपने गुरु स्वामी राम देवानंद जी महाराज ( तलवंडी भाई, फिरोजपुर "पंजाब " ) के आश्रम में बैठे हुए थे एकत्रित श्रद्धालु सत्संग प्रवचन सुनते हुए और आश्रम में बैठे हुए थे तभी अचानक स्वामी राम देवानंद जी महाराज ने पुकार कि रामपाल जी इधर आओ

 स्वामी रामदेव आनंद जी महाराज ने नाम दीक्षा देने का आदेश दिया सन 1994 में मिला ,

 महाराज संत रामपाल जी को पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर दिन के 10:00 बजे सतलोक से आकर 1997 को भी मिले और सारनाम देने का आदेश दिया

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दी गई पुस्तक को डाउनलोड करके जरुर पढ़ें और संत रामपाल जी महाराज की यूट्यूब वीडियो को देखें

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संत रामपाल जी महाराज की गुरु प्रणाली इस प्रकार से है :- 

1- बंदी छोड़ कबीर साहेब जी (उत्तर प्रदेश)

2- बंदी छोड़ गरीब दास महाराज ( गांव छुड़ानी जिला झज्जर हरियाणा)

3- संत शीतल दास जी महाराज (गांव बरहाना जिला रोहतक, हरियाणा)

4- संत ध्यान दास जी महाराज

5- संत रामदास जी महाराज 

6- संत ब्रह्मानंद जी महाराज

 (गांव करौथा, जिला रोहतक ,हरियाणा)

7- संत जुगतआनंद जी महाराज 

8-संत गंगेश्वरा नंद जी महाराज (दिल्ली)

9- संत चिदानंद जी महाराज ( गांव गोपालपुर धाम, सोनीपत, हरियाणा )

10- संत रामदेवानंद जी महाराज (तलवंडी भाई, फिरोजपुर, पंजाब)

11- संत रामपाल दास जी महाराज।

 सतलोक आश्रम

 (हिसार- टोहाना रोड, बरवाला जिला हिसार, हरियाणा)

" संत रामपाल जी महाराज देवी देवताओं की उपासना पूर्ण ब्रह्म की पूजा विधि का विवरण शास्त्रों में लिखित विधि अनुसार ही देते हैं "

अधिक जानकारी के लिए देखें विडिओ तक

You Tube VIDEO ~  dm kabira 


नोट- निम्नलिखित पुस्तक की पीडीएफ/ फाइल को डाउनलोड करके जरूर पढ़ें/
https://dmkabira.blogspot.com/2020/04/pdf-book-download.html?m=1

" संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करें, मनुष्य जन्म मे भक्ति करके मोक्ष मार्ग प्राप्त करें "

धन्यवाद ।



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