काल ब्रह्म की जानकारी
काल ब्रह्म कौन है ? इसकी पूर्ण जानकारी कैसे प्राप्त होगी? हम सभी आत्माएं काल ब्रह्म के 21 ब्रह्मांड में कैसे फंसी हुई?
अवश्य पढ़िए पूरी पोस्ट को
सृष्टि रचना :- सर्वप्रथम कबीर साहेब ( वेदों में कबीर देव) ने सभी आत्मा व सभी ब्रह्मडो को सतलोक में उत्पन्न किया। कबीर देव (परम अक्षर ब्रह्म) ने सर्वप्रथम 16 पुत्रों की उत्पत्ति की जिनके नाम है अचिंत , कुर्म, द्वीप ,ज्ञानी, विवेक ,सहज, तेज, सूरत, संतोष, क्षमा, निष्काम, प्रेम ,योग संतायन, दयाल, धैर्य, आनंद।
नोट :- सतलोक में मानसरोवर है जहां पर अमृत भरा हुआ है।
काल की उत्पत्ति कविर देव से :- सर्वप्रथम कबीर (सत्पुरुष) देव ने अचिंत को सतलोक की रचना का भार सौंपा और शक्ति प्रदान की।
अचिंत ने अपने शब्द से परब्रह्मा (अक्षर पुरुष) की उत्पत्ति की तथा कहा कि मेरी मदद करना
अक्षर पुरष स्नान करने मानसरोवर पर गया शीतल जल था और वह स्नान करने लगा जिसके बाद उस जल में ही सो गया (क्योंकि सतलोक में शरीर स्वांंसो पर आधारित नही है )
लंबे समय तक बाहर नहीं आया तब अचिंत की प्रार्थना पर अक्षर पुरुष नींद से जगाने के लिए कबीर देव ने उस मानसरोवर से कुछ अमृत जल लेकर एक अंडा बनाया तथा उस अंडे में एक आत्मा प्रवेश की तथा अंडे को मानसरोवर अमृत जल में छोड़ा अंडे की गड़गड़ाहट से अक्षर पुरुष की नींद भंग व अंडे को क्रोध से देखा जिस कारण से अंडे के दो भाग हो गए उसमें से ज्योति निरंजन पुरुष निकला निकला,
जो आगे चलकर काल कहलाया।
इसका वास्तविक नाम कैल है।
हिंदी फोटो में काल का चित्र देखें
अंग्रेजी फोटो में काल का चित्र देखें
आज्ञा पाकर अक्षर पुरुष ( परब्रह्मा) तथा क्षर पुरुष (काल ब्रह्म )दोनों अचिंत के लोक में रहने लगे,
(बच्चों की नालायकी उन्हीं को दिखाई कि कहीं प्रभु की तड़फ ना बन जाए क्योंकि समरथ के बिना कार्य सफल नहीं होता है)
फिर पूर्ण ब्रह्म समर्थ कबीर साहिब ने सर्वप्रथम रचना की, अपनी शब्द शक्ति से एक राजेश्वरी राष्ट्री शक्ति उत्पन्न की जिससे सर्व ब्रह्मांड को स्थापित किया।
इसी शक्ति को पाराशक्ति/ परा नंदनी भी कहते हैं,
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सर्वप्रथम कबीर प्रभु ने सभी आत्मा को मनुष्य जैसा शरीर बनाया( सत्य लोक में नूरी शरीर है जो सांसों से नहीं चलता है)
प्रत्येक आत्मा का शरीर 16 सूर्य की चमक के बराबर है जैसे 1 सूर्य की चमक कितनी होती है, इस तरह से 16 सूर्य जैसा मनुष्य का शरीर है सतलोक में।
सतलोक में सभी व्यवस्था जैसे:- मकान अमृत जल अन्य फल दूध नदी हीरामणिक सोना सर्व पदार्थ उपलब्ध है।
बहुत बड़े बड़े मकान व महल बने हुए हैं जो कभी नाश (अंत )नहीं होते हैं, वहां मनुष्य अजर और अमर होता है मनुष्य कभी नहीं मरता है।
आत्माएं काल के जाल में कैसे फंसी ?
मनुष्य को किस प्रकार के भक्ति करनी चाहिए?
मनुष्य धरती पर अवतार क्यों लिया ?
कर्म किसने बनाए?
मनुष्य को कर्म क्यों भोगने पड़ते हैं?
काल ब्रह्म का हर हट रूपी चक्र क्या है?
मनुष्य को यातनाएं क्यों भोगनी पड़ती है ?
मनुष्य को लक चौरासी योनि में क्यों जाना पड़ता है?
आज वर्तमान में मनुष्य रोगों से क्यों ग्रस्त हो रहा है अकाल मृत्यु हो जाती है इसका कारण क्या है ?
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जैसे :- कुत्ते गधे बिल्ली चींटी पेड़ कीड़ा बिच्छू सर्फ इत्यादि यह 8400000 प्रकार की चार खानी के अंतर्गत जीव आता है"
(प्रभु ,परमेश्वर, खुदा ,गॉड, रब यह प्रभु की पर्यायवाची शब्द है)
नोट:- असली प्रभु का नाम "कबीर देव " है जो सभी आत्मा का पिता है और सभी ब्रह्मडों का आधार है
यह वेद ,बाइबल ,कुरान शरीफ, गुरु ग्रंथ साहिब ग्रन्थों मे प्रमाणित करता है।
संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से सभी प्रकार की बुराई जैसे नशा तंबाकू बीड़ी सिगरेट शराब अफीम चरस गांजा यह छूट जाता है और एक मनुष्य को स्वस्थ जिंदगी जीता है।
एक मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए इन सभी मादक पदार्थों को नहीं छूना चाहिए ना तो खाना चाहिए ।
यह पदार्थ खाने से मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां ग्रसित होती हैं और एक स्वस्थ मनुष्य रोगी हो जाता है अंत में प्राण त्याग देता है।
"संत रामपाल जी महाराज के प्रवचन सत्संग जरूर सुने"
साधना टीवी चैनल रात्रि 7:30 से 8:30 तक व अन्य टीवी चैनल पर।
वर्तमान में भागती दौड़ती जिंदगी में लोग शान शौकत से अपने घर में रहते हैं, जब संकट और बीमारी ग्रसित होता है तब अधिक परेशानी होता है उस समय प्रभु को याद करते हैं अगर समय रहते इसके पहले प्रभु की भक्ति और ही प्रभु की भक्ति और स्तुति करें तो आपके कर्म फल में अच्छा अनुभव प्राप्त होगा और परमात्मा का मिलन होगा।
यह सब क्रिया सतगुरु के द्वारा प्राप्त होती है।
वर्तमान में पूरी धरती पर पूर्ण सतगुरु सिर्फ संत रामपाल जी महाराज हैं जिसका प्रमाण शास्त्रों में बताया गया है।
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