Shivratri 2021 Quotes

' शिवरात्रि अर्थात भगवान शंकर की पूजा अर्चना पर विशेष जानकारी शिव पुराण से '

शिव पुराण

श्री शिव पुराण (अनुवादक :- श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रकाशक गोविंद भवन कार्यालय गीता प्रेस गोरखपुर मोटा टाइप अध्याय 6 ,

 रूद्र संहिता प्रथम खंड सृष्टि से निष्कर्ष "

 अपने पुत्र श्री नारद जी के श्री शिव तथा शिवा के विषय में पूछने पर श्री ब्रह्मा जी ने कहा पृष्ठ 100 से 102 जिस परब्रह्मा के विषय में ज्ञान और अज्ञान से पूर्ण निष्कर्ष द्वारा इस प्रकार विकल्प किए जाते हैं जो निराकार  परब्रह्म है वही साकार रूप में सदाशिव रूप धारण मनुष्य रूप में प्रकट हुआ ,

सदाशिव ने अपने शरीर से एक स्त्री को उत्पन्न किया जिसे प्रधान प्रकृति अंबिका त्रिदेव जननी (ब्रह्मा विष्णु शंकर की )माता कहा जाता है जिसके आठ भुजाएं हैं।

श्री विष्णु जी की उत्पत्ति

जो सदाशिव हैं उन्हें परम पुरुष, ईश्वर, शिव शंभू और महेश्वर कहते हैं वे अपने सारे अंगों में भस्म रमाए हैं ,

उन काल रूपी ब्रह्मा ने एक शिवलोक नाम धाम (ब्रह्मलोक में )बनाया उसे काशी कहते हैं।

 शिव तथा शिवा (  कॉल पत्नी दुर्गा )पति पत्नी

व्यवहार से एक पुत्र की उत्पत्ति की जिसका नाम विष्णु रखा,

(अध्याय 7 रुद्र संहिता शिवपुराण पृष्ठ 103 104 पर देखें)

श्री ब्रह्मा तथा श्री शिव की जन्म उत्पत्ति

अध्याय 7 ,8 ,9 105 से 110 तक श्री ब्रह्मा जी ने बताया कि श्री शिव तथा शिवा (काल रूपी ब्रह्मा व प्रकृति / दुर्गा ) ने पति-पत्नी व्यवहार से मेरी भी उत्पत्ति की तथा फिर मुझे अचेत करके कमल पर डाल दिया, ( यही काल महा विष्णु रूप धारण कर अपनी नाभि से एक कमल उत्पन्न कर लेता है)

ब्रह्मा जी कहते हैं फिर मैं होश में आया और कमल की मूल ( जड़) को ढूंढना चाहा परंतु असफल रहा फिर तप करने की आकाशवाणी हुई  फिर मैं ( ब्रह्मा जी) तप किया किया,

ब्रह्मा जी कहते हैं कि मेरी तथा विष्णु की किसी बात के विषय पर लड़ाई हुई ( ब्रह्मा जी विष्णु से कहते हैं बेटा उठ तेरा बाप आया है, विष्णु जी ने कहा बेटा मैं तेरा बाप हूं इसी प्रकार कहासुनी होने लगी)

तब हमारे बीच में एक तेजोमय लिंग ( मोटा गम्भ) प्रकट हो गया और ओम ओम नाथ शब्द प्रकट हुआ,

उस लिंग पर अ-उ-म तीन अक्षर भी लिखे थे।

फिर रूद्र रूप धारण करके सदाशिव पांच मुख वाले मानव रूप में प्रकट हुआ उनके साथ शिवा(दुर्गा) भी थी।

शिव शंकर को अचानक प्रकट कर दिया ( क्योंकि तमोगुण शंकर अचेत अवस्था में था ज्योति निरंजन काल ब्रह्म के द्वारा)

यहां पर 3 लोग उपस्थित हो गए विष्णु, ब्रह्मा और शंकर, 2 लोग अन्य थे सदाशिव और शिवा

कुल मिलाकर 5 लोग की एक टीम उपस्थिति हुई।

 जो तेजोमय स्तंभ रूप लिंग वह छोटा रूप धारण करके एक शिवलिंग का रूप ले लिया,


शिवलिंग
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रजोगुण प्रधान ब्रह्मा, सतोगुण प्रधान विष्णु, तमोगुण प्रधान शंकर इस प्रकार इन तीनों देवताओं में गुण हैं, शिव तथा शिवा इनसे अलग माने गए हैं जो इनके पिता हैं।

"इन्हें काल रूपी ब्रह्म कहा है, जो इनके ( ब्रह्मा विष्णु शंकर) माता-पिता है "

"शिवरात्रि अर्थात शिवलिंग पूजा का प्रचलन भी यहीं से शुरू होता है क्योंकि शिव और शिवा जगह-जगह प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और उसी की पूजा अर्चना का स्थान बन गया "


श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 14 श्लोक 1 से 5 तक जो प्रधान प्रकृति शब्द लिखा है वह दुर्गा की तरफ संकेत करता है,

तीन गुणों के विषय में ब्रह्मा विष्णु शंकर का भी जिक्र गीता में दिया गया है"

"ब्रह्मा विष्णु महेश शंकर दुर्गा की स्तुति साधना की जानकारी तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के द्वारा बताई जाती है, जो शास्त्र अनुकूल भक्ति पूजा मानी जाती है"

प्राचीनतम ऋषि-मुनियों ने निष्कर्ष निकाला कि पूर्ण परमात्मा कौन है ?और ब्रह्मा विष्णु महेश शंकर कौन है?

नोट :-ऋषि महर्षि विद्वान एक दूसरे से पूछते रहे जब निष्कर्ष निकालने में असफल हुए दो लोगों ने अपने अनुसार स्तुति साधना और पूजा का नियम बनाकर समाज में बता दिया और खुद करने लगे।

इस प्रकार धीरे-धीरे साधना और पूजा का नियम बनता गया और मानव की जनसंख्या बढ़ती गई,

सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग 4320000 वर्ष श्रीमद्भगवद्गीता अनुसार संसार की आयु होने के बावजूद अलग-अलग नियम संयम साधना हमारे ऋषि मुनि विद्वान करने लगे।

'"यहां तक ब्रह्मा विष्णु शंकर को तत्वज्ञान ना होने के कारण पूर्ण परमात्मा को नहीं पहचान पाए"

"कबीर परमेश्वर द्वारा दिया गया मूल मंत्र ब्रह्मा जी विष्णु जी शंकर जी को पूर्व काल में दिया था जो आज तक के परमेश्वर के देव मंत्र का जाप करते हैं यह तीनों देवता"

हमारा संदेश यह देता है कि संसार के लोगों को सच्ची जानकारी मिले और लोग इस संसार से मुक्त होकर सच्चे भगवान की तरफ बढ़े, जिस प्रभु ने सर्व ब्रह्मांड की रचना की और आत्मा को बनाया"

"सोशल मीडिया पर विकीपीडिया गूगल व अन्य सभी प्लेटफार्म लोगों ने अपने शास्त्रों के अनुसार ही खोज करके अनुभव लिखा जिसका अनुसरण आज समाज करता है"

"संसार के सभी मानव को पूर्ण परमात्मा की पूजा करनी चाहिए"

""पूर्ण परमात्मा कौन है""

"पूर्ण परमात्मा की पहचान के विषय में तत्वदर्शी संत की खोज करनी चाहिए"

"पूर्ण परमात्मा की पूजा करने से हमारे पाप कर्म कट जाते हैं"

हमारी पोस्ट तत्वदर्शी संत के अनुभव के द्वारा ही लिखी गई हैं"

"जिसका गुणगान वेद, गीता, बाइबल, कुरान शरीफ, गुरु ग्रंथ साहिब इत्यादि ग्रंथ प्रमाणित करते हैं"

अधिक जानकारी के लिए ज्ञान गंगा जीने की राह पुस्तक की नीचे लिंक दी गई है जिसकी पीडीएफ डाउनलोड करके जरूर पढ़ें

पुस्तक हिंदी और इंग्लिश भाषा में आपको प्राप्त होगी

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