Spiritual Bible Vibes Sant Rampal Ji Maharaj
बाइबल का मूल पृष्ठ रहस्य
उत्पत्ति नाम का अर्थ है "आरंभ" जगत की सृष्टि मानव जाति की उत्पत्ति इस संसार में पाप और दुख का आरंभ और भगवान का मानव जाति के साथ व्यवहार का वर्णन इस पुस्तक में मिलता है,
उत्पत्ति को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1- अध्याय 1 से 11 जगत की सृष्टि और मानव जाति का पूर्व इतिहास इसमें आदम और हव्वा कैनक और हाबिल, पुस्तक और जल प्रलय और बेबीलोन के गुम्मट का वर्णन मिलता है।
2- अध्याय 12 से 50 तक इस्राइली ओम की शुरुआत के पूर्वजों को का इतिहास इसमें पहले अबराम है जो भगवान पर विश्वास है और उसके प्रति अपनी आज्ञाकारिता के कारण प्रसिद्ध था, इसके बाद उसके बेटे इसहाक और पोते याकुब का वर्णन उसके पुत्र याकुब ने किया है। दिया गया है। गया है। है।
नोट: - यह प्राचीन पुस्तक मानव जानकारी के लिए लिखी गई है की प्राचीन में भगवान पर विश्वास करने वाले लोग किस तरह से थे,
अतः आप सभी से निवेदन है कि इस पुस्तक पर विश्वास करते हैं तो फिर भगवान के निर्देश निर्देश के अनुसार जरूर कदम बढ़ाए और भगवान की आज्ञा का पालन करें।
अध्याय 1 से 25 तक प्रमाण दिया गया है
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ब्रह्मांड का वर्णन: - 1 आदि (प्रारंभ) में भगवान ने आकाश और पृथ्वी की रचना की रचना की 2 पृथ्वी बैथुल और सुनीता प्या
3 गहरे जल के ऊपर अंधियारा था और भगवान का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था,
4 जब भगवान ने कहा उजाला हो तो उजाला हो गया भगवान ने उजाले को देखा तो उजाले को अंधेरा हो गया है।
5 भगवान ने उजाले को दिन और अंधेरा रात कहा और सिंधु हुआ फिर भोर हुआ इस प्रकार पहले दिन हो गए।
अध्याय संख्या 1 श्लोक संख्या 26 में भगवान ने कहा कि हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपने समान में बनाएँ और भी समुद्र की मछलियों और आकाश की पक्षियों और घरेलू पशुओं तक और पूरी पृथ्वी पर सभी रेंगने वाले जंतुओं पर जो पृथ्वी पर रहते हैं: ये सभी अधिकार
२ - भगवान ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया अपने स्वयं के स्वरूप के अनुसार उसको नर और नारी द्वारा सृष्टि की
28 - तब भगवान ने उसको आशीष दी और उन्हें फूलों फूलो और पृथ्वी में भर जाओ और उसको अपने वश में कर लो और समुद्र की मछलियों और आकाश की पक्षियों पर पृथ्वी पर रहने वाले सब जंतुओं के अधिकार को स्वीकार कर लिया।
29 - फिर भगवान ने उन्हें कहा कि सुनो जितने बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ सा पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं वह सब मैंने आपकोको दिए हैं वह आपके भोजन के लिए हैं।
29 और जितने पृथ्वी के पशु और आकाश के पक्षी और पृथ्वी पर रेंगने वाले जंतु हैं जीवन का प्राण है उन सब के खाने के लिए मैंने सब हरे हरे छोटे पेड़ हैं, और वैसा ही हो गए हैं।
३० - तब भगवान ने जो कुछ बनाया था देखा था सिड्स हुआ फिर भोर हुआ
इस प्रकार छठ दिवस हुआ।
अध्याय 2 के श्लोक संख्या 1 से 10 तक प्रमाण है कि भगवान ने सातवें दिन विश्राम किया था (अर्थात वह अपने निजी स्थान पर चले गए))
यह बाइबिल प्रमाण है।
बाइबिल अध्याय 2 श्लोक संख्या 7 में प्रमाण दिया गया है "भगवान" भगवान ने आदम को भूमी की मिट्टी से रचा और उसके नाथो में जीवन का जीवन का सांस दिया, और आदम जीवित प्राणी बन गए, और यह भगवान प्रभु ने पूर्व की ओर शैतान की की में वाटिका लगाई और वहाँ आदम हो जिसे उसने रचा था वाटिका में रख दिया, और भगवान भगवान और में से भक्ति के वृक्ष जो देखने में मनोहर और जितने फल खाने में अच्छे हैं उगाए और वाटिका के बीच में जीवन के पेड़ और यहां तक। वह बुरा है। ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया गया था।
🚩 नोट: - प्रभुनाथ जो कहा गया है, बाइबिल में यही वह अवधि है, जिसने सर्व मानव समाज को भ्रमित किया है।
भगवान भगवान ने आदम और हव्वा की रचना की, इसलिए आगे आने वाले समय में इनसे संसार की मानव रचना हो।
अधिक जानकारी के लिए नीचे फोटो दी जा रही हैं जिसमें कांटेक्ट द्वारा संपर्क कर सकते हैं, संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अमृत वचन प्रतिदिन सुनने,
पुस्तक डाउनलोड करके जरुर पढ़े
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