जीवन शैली मानव व सर्व प्रभुओं की उम्र पर विवरण

"जन्म और मृत्यु सर्वभुओं की, शास्त्रों से प्रमाणित तथ्य दिया गया है"

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 ➡️आज पृथ्वी मंडल पर जो भी आत्माएं हैं, चींटी हाथी घोड़े बकरी गाय भैंस मनुष्य, सूक्ष्म जीवाणु विषाणु सभी प्राणियों का जन्म और मृत्यु होती रहती है। 
➡️ब्रह्मा जी, विष्णु जी, शंकर जी, दुर्गा माता, क्षर पुरष (काल ब्रह्हा) अक्षर पुरष (पर ब्रह्मा) की आयु निरधारित है, इन भगवान का जन्म और मृत्यु होती है, जैसे कि आगे आगे ...।
  "पूर्ण प्रभू का जन्म और मृत्यु नहीं होती है"
1- रजगुण ब्रह्मा जी की आयु: -   
ब्रह्मा का 1 दिन 1000 चतुर्युग का होता है, इसलिए केवल रात्रि। (1000 चतुर्युग में 4320000 मनुष्य वाले वर्ष होते हैं)
1 महीना 30 दिन और रात का है, 1 साल 12 महीने का है, इस तरह ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष है,
जो 7 करोड़ 20 लाख चतुर्युग की है,
2- सतगुण विष्णु जी की आयु: - श्री ब्रह्मा जी की आयु से 7 गुना अधिक श्री विष्णु जी की आयु है।
50 करोड़ 40 लाख चतुर्युग आयु विष्णु जी की है,
3- तमुगान शिवजी की आयु: - श्री विष्णु जी से अधिक  अरब * ३ अरब ५२ करोड़ रुपये ० लाख लाख कुरुक्षेत्र आयु श्री शिवजी की है।
4- अवधि ब्रह्मा अर्थात क्षर पुरुष की आयु: - 
सात त्रिलोकिय ब्रह्मा मृत्यु के बाद एक त्रिलोकी विष्णु जी की मृत्यु होती है, और सात त्रिलोकिय विष्णु की मृत्यु के बाद एक त्रिलोकी शिव काल के तमोगुण पुत्र पुत्र की मृत्यु होती है,
(प्रमाण कबीर सागर अध्याय ज्ञान सागर पृष्ठ ४३ पर)
ऐसे 7000 त्रिलोकी शिव की मृत्यु के उपरांत एक ब्रह्मलोक की महा शिव * (सदाशिव) की मृत्यु हुई है।
(नोट: - यहाँ पर एक ब्रह्मांड बना ब्रह्मलोक होता है, जहाँ पर स्वयं काल भगवान तीन पुत्रों की उत्पत्ति करता है, दुर्गा के सहयोगी से)
एक ब्रह्मलोकिय महाशिव की आयु समान होती है, वह एक युग परब्रह्मा (अक्षर पुरुष) का हुआ।
ऐसे 1000 युग का परब्रह्मा का 1 दिन होता है,
परब्रह्मा के 1 दिन के समापन के पश्चात काल ब्रह्मा के 21 ब्रह्मांड का विनाश हो जाता है, और काल व प्रकृति (देवी दुर्गा) की मृत्यु होती है।
(दुर्गा जी को प्रकृति ने कहा है जोको श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है)
काल वा दुर्गा का पुनर्जन्म होता है फिर यह एक ब्रह्मांड में पहले की भांति सृष्टि प्रारंभ करते हैं ,,
इस प्रकार परब्रह्मा अर्थात अक्षर पुरुष का 1 दिन 1000 युग का होता है और इसलिए केवल रात्रि होती है।
4- अक्षर पुरुष अर्थात पर ब्रह्मा की आयु: -  ब्रह्मलोक के महाशिव अर्थात काल ब्रह्म की आयु के समान अक्षर पुरुष अर्थात परब्रह्म का एक युग होता है पर ब्रह्म का एक दिन 1000 युग का इतना ही रात्रि होता है। इस प्रकार पर ब्रह्मा का 1 दिन रात 2
हजार युग का हुआ।
(एक महीना 30 दिन 1 वर्ष 12 महीने की आयु के अनुसार पर ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष है)
गीता अध्याय 15 श्लोक 16, 17 और अध्याय 8 से श्लोक 20 से 22 में किसी अन्य पूर्ण परमात्मा की विषय में कहा गया है, जो अविनाशी प्रभु माना गया है।
नोट: -  श्रीमद भगवत गीता का संत संत रामपाल जी महाराज के द्वारा जो किया गया है वह शनि है, जो अन्य गुरु ने किया है उसमें कुछ त्रुटि आई है, जिससे समाजवादी नहीं हो पाए क्योंकि श्रीमद भगवत गीता अध्याय संख्या 4 के शकोको संख्या 34 , 32 में बताया गया है कि पूर्ण तत्वदर्शी संत है जिससे जानकारी सही हो जाएगी।
सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग यह चार युग हैं जिसमें कलयुग की आयु 432000 वर्ष है,
सतयुग में मनुष्य की आयु 100000 वर्ष होती है।
 त्रेता युग में मनुष्य की आयु 10000 वर्ष होती है।
द्वापर युग में मनुष्य की आयु 1000 वर्ष होती है।
 कलयुग वर्तमान में मनुष्य की आयु 100 वर्ष है।
जैसे जैसे युग समय बीतता चला जाता है उस समय  अनुसार संसार में मनुष्य प्राणी व अन्य जीवों की जन्म और मृत्यु में होता है।
विषेश :-भगवान की प्राप्ति करने के लिए मनुष्य ने हठयोग करना शुरू किया, हठयोग से प्रभु ना मिलने के कारण मानव प्राणी के शरीर में बाल और दाढ़ी आने के कारण वह ऋषि कहलाए,
(जन्म से कोई ऋषि नहीं बनता है ना तो भगवान बनता है इसके लिए कुछ प्रैक्टिकल किए जाते हैं यह प्रैक्टिकल हठयोग है जो स्वयं ब्रह्मा जी ने किया था)
जो ऋषि प्रभु प्राप्त के लिए निकले थे उस हठयोग से सिद्धि प्राप्त हुई जिससे वह किसी को आशीर्वाद देते देते तो लाभ हो जाता था इसलिए ऋषि और मुनि की महिमा होने लगी लेकिन प्रभु प्राप्ति नहीं हुई क्योंकि श्रीमद भगवत गीता में हठयोग करना मना किया गया है।
अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन साधना टीवी चैनल शाम 7:30 से 8:30 तक जरूर सुने व अन्य टीवी चैनल पर भी सत्संग प्रसारित होते हैं।



 "सबका मालिक एक है उसका नाम कबीर है  जिसका कभी जन्म और मृत्यु नहीं होता है वह संत के रूप में प्रकट होता है"
🙏

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