पूर्ण ब्रह्म द्वारा सृष्टि रचना की उत्पत्ति
सृष्टि रचना:- प्रभु प्रेमी आत्माएं निम्न सृष्टि रचना को पढ़ेंगे तो ऐसा लगेगा जैसे दंतकथा हो परंतु आपको ग्रंथों से प्रमाण सहित वास्तविक अमृत ज्ञान आपको दिया जा रहा है इस को ध्यान से पढ़ें आपके 101 👨👩👧👧 पीढ़ी काम आएगा ।। yo
1- पूर्ण ब्रह्मा :- इस सृष्टि रचना में सत्य पुरुष सतqलोक का स्वामी( प्रभु )अलख पुरुष अलख लोक का स्वामी( प्रभु) अगम पुरुष अगम लोक का स्वामी (प्रभु) तथा अनामी पुरुष अनामी लोक का स्वामी( प्रभु )तो एक ही पूर्ण ब्रह्म है जो वास्तविक में अविनाशी प्रभु कहा जाता है जो भिन्न-भिन्न रूप धारण करके अपने चारों लोकों में रहता है जिसके अंतर्गत असंख्य ब्रह्मांड आते हैं।
2- परब्रह्मा :- यह केवल 7 संख ब्रह्मांड का स्वामी (प्रभु) है यह अक्षर पुरुष भी कहलाता है परंतु यह तथा इसके ब्रह्मांड में वास्तव में अविनाशी नहीं है।
3- ब्रह्मा :- यह केवल 21 ब्रह्मांड का स्वामी (प्रभु) है इसे क्षर पुरुष, ज्योति निरंजन, काल आदि नाम से जाना जाता है यह तथा इसके ब्रह्मांड नाशवान है।
उपरोक्त तीनों पुरुषों( प्रभु )का प्रमाण श्रीमद भगवत गीता अध्याय नंबर 15 श्लोक नंबर 16' 17 में भी है।
4- ब्रह्मा (काल भगवान) :- ब्रह्मा जी इसी का बड़ा पुत्र है ,विष्णु जी इसी का मध्य पुत्र, शिव जी इसी का अंतिम तीसरा पुत्र है, यह तीनों ब्रह्मा (काल) के पुत्र केवल एक ब्रह्मांड में एक विभाग( गुण) के स्वामी (प्रभु )है तथा नाशवान है , विस्तृत जानकारी के लिए कृपया पढ़ें लिखित सृष्टि रचना
कविर्देव (कबीर परमेश्वर )ने सूक्ष्म वेद अर्थात कबीर वाणी में अपने द्वारा रचित सृष्टि का ज्ञान स्वयं ही बताया है जो निम्नलिखित है।
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सर्वप्रथम केवल एक स्थान अनामी लोक था जिसे अकह लोक भी कहा जाता है पूर्ण परमात्मा उस अनामी लोक में अकेला रहता था उस परमात्मा का वास्तविक नाम कविर्देव है अर्थात कबीर परमेश्वर है।
सभी आत्माएं उस कबीर परमेश्वर के शरीर में समाई हुई थी इसी कबीर देव का उपमात्मक पदवी का नाम आनामी पुरुष है( पुरुष का अर्थ प्रभू होता है)
(प्रभु ने मनुष्य को अपने ही स्वरूप में बनाया है इसलिए मानव का नाम भी पुरुष ही पड़ा है)
➡️अनामी पुरुष के 1 रोम( बाल)कूप का प्रकाश असंख्र्य रोशनी से भी अधिक है।
ठीक इसी प्रकार पूर्ण कबीर परमेश्वर ने नीचे के 3 लोक की रचना करके
1 अगम लोक 2-अलख लोक 3- सतलोक की रचना शब्द (वचन )से की यही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा कबीर परमेश्वर ➡️अगम लोक में प्रकट हुआ तथा कबीर परमेश्वर (अल्लाह) अगम लोक का भी स्वामी है तथा वहां इनका उपमात्मक पदवी का नाम अगम पुरुष अर्थात प्रभु है ,इसी अगम पुरुष का मानव सदृश शरीर बहुत तेज (रोशनी) में है जिसके एक रूम की रोशनी खरब सूर्य से भी अधिक है।
➡️परमात्मा कबीर देव अलख लोक में प्रकट हुआ तथा स्वयं ही अलख लोक का प्रभु है। प्रभु का मानव शरीर तेजोमय स्वयं प्रकाशित है, एक रोम कूप की रोशनी अरब सूर्य के प्रकाश से भी ज्यादा है।
➡️यही पूर्ण परमात्मा सत्यलोक में प्रकट हुआ इसी का उपमात्मक का नाम सत्य पुरुष ,अविनाशी प्रभु है।इसी का नाम अकाल मूर्ति, शब्द स्वरूपी राम,पूर्ण ब्रह्मा ,परम अक्षर ब्रह्मा आदि है ।इसी सत्पुरुष कबीर प्रभु का मानव शरीर तेजोमय है जिसके एक रूम का प्रकाश करोड़ सूर्य तथा इतने ही चंद्रमा से ज्यादा प्रकाशित है।
➡️ इस कबीर प्रभु ने सत्य पुरुष रूप में प्रकट होकर सत्यलोक में विराजमान होकर प्रथम सतलोक में अन्य रचना की
➡️ एक शब्द से 16 दीपों की रचना की फिर 16 शब्दों से 16 पुत्रों की उत्पत्ति की तथा मानसरोवर की रचना की जिसमें अमृत हुआ है 16 पुत्रों के नाम हैं
👨👩👧👧 कूर्म विवेक, तेज ,सहज ,संतोष ,सुरती ,आनंद, क्षमा ,निष्काम ,जल रंगी ,अचिंत, प्रेम ,दयाल ,धैर्य ,योग संतायन अर्थात योग जीत।
सत्पुरुष कबीर देव ने अपने पुत्र अचिंत को सतलोक की रचना का भार सौंपा तथा शक्ति प्रदान की , अचिंत ने अक्षर पुरुष (परब्रह्मा )की शब्द से उत्पत्ति की तथा कहा कि मेरी मदद करना अक्षर पुरुष स्नान करने मानसरोवर पर गया वहां आनंद आया तथा सो गया लंबे समय तक बाहर नहीं आया तब अचिंत्य की प्रार्थना पर अक्षर पुरुष को नींद से जगाने के लिए कबीर परमेश्वर गये उसी मानसरोवर से कुछ अमृत जल लेकर एक अंडा बनाया तथा उस अंडे में एक आत्मा प्रवेश की तथा अंडे को मानसरोवर के अमृत जल में छोड़ा अंडे की गड़गड़ाहट से अक्षर पुरुष की निद्रा भंग हुई उसने अंडे को क्रोध से देखा जिस कारण से अंडे के दो भाग हो गए उसमें से ज्योति निरंजन पुरुष निकला जो आगे चलकर काल कहलाय इसी का वास्तविक नाम "कैल "है तब कबीर परमेश्वर ने आकाशवाणी कि आप दोनों बाहर आओ तथा अचिंत के द्वीप में रहो आज्ञा पाकर अक्षर पुरूष तथा चार "क्षर पुरुष" दोनों अंचित के द्वीप में रहने लगे। ( समरथ के बिना कोई कार्य नहीं हो सकता)
➡️ भक्ति मुक्ति के सतगुरु दाता भटकत प्राणी परिंदा
उस साहिब के हुकुम बिना नहीं तरुवर पात हिलंदा।। कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा हैंं।
🇮🇳🇮🇳🙏
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आत्माएं काल के जाल में कैसे फंसी ?
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विशेष :- जब ब्रह्मा ज्योति निरंजन काल तक कर रहा था हम सभी आत्माएं जो आज ज्योति निरंजन के 21 ब्रह्मांड में रहते हैं इसके साधना पर आसक्त हो गए तथा अंतर आत्मा से इसे चाहने लगे अपने सुखदाई प्रभु सत्य पुरुष से विमुख हो गए जिस कारण से पतिव्रता पद से गिर गए पूर्ण प्रभू के बार-बार सावधान करने पर भी हमारी आसक्ति क्षर पुरुष(काल) से नहीं हटी और आज तक हम काल के चंगुल में फंसे हुए हैं।
पूर्ण ब्रह्मा कबीर परमेश्वर ने ➡️काल भगवान से कहा तुम क्या लेना चाहते हो ?
काल भ का पुत्र काल भगवान गवान ने कहा अपने पिता कबीर परमेश्वर से पिताजी यह सब स्थान हमारे लिए कम है? अतः हमें अलग से बड़े-बड़े द्वीप दो तब पिताजी कबीर परमेश्वर ने उसे 21 ब्रह्मांड दान में दे दिए ➡️🌏🌏
➡️ ज्योति निरंजन काल भगवान ने 21 ब्रह्मांड अपने पिताजी से प्राप्त करने के बाद सोचा उसमें कुछ कंस्ट्रक्शन ( सामग्री) हो, अकेले का हमें इसमें मन नहीं लगता है इसके बाद उसने 70 युग तक तप किया तब पिताजी कबीर परमेश्वर उसी के सामने प्रकट हो गए और उससे पूछा अब तुम क्या लेना चाहते हो?
कबीर परमेश्वर ने प्रसन्न होकर पांच तत्व प्रदान किए तथा 3 गुण दिए
बाद में काल भगवान ने यह सोचा कि इसमें कुछ जीव रचना करनी चाहिए इसलिए 64 युग तक तक तप किया जब यह तप करा था फिर कबीर देव आकर प्रकट हुए और कहा अब तुम क्या लेना चाहते हो?
ज्योति निरंजन ने अपने पिता से कहा पिताजी हमें कुछ आत्माएं दे दो इसमें हम सृष्टि रचना करेंगे
कबीर साहब ने काल भगवान से कहा कि तुम तप के बदले ब्रह्मांड ले सकते हो लेकिन मैं प्यारी आत्माओं को नहीं दूंगा हां अगर कोई आत्मा स्वेच्छा से तुम्हारे साथ जाना चाहती है तो उसे ले जा सकते हो।
जब समर्थ कबीर परमेश्वर ने यह बात बोली फिर यह आत्माओं के पास चला गया 👨👩👧👧 आत्माएं पहले से इस काल के ऊपर आसक्त थी इसकी अदाओं को देख कर जो तप - जप कर रहा था।
हम उसे चारों तरफ से घेरकर खड़े हो गए ज्योति निरंजन ने कहा मैं पिताजी से अलग 21 ब्रह्मांड प्राप्त किए हैं वहां नाना प्रकार के रमणीय स्थल बनाए हैं क्या आप मेरे साथ चलोगे हम सभी अनसुने जो आज 21 ब्रह्मांड ओं में परेशान हैं कहा कि हम तैयार हैं यदि पिता जी की आज्ञा दें तब क्षर पुरुष पूर्ण ब्रह्म महान कबीर देव कबीर परमेश्वर के पास गया तथा सर्ववार्ता कही कबीर परमेश्वर ने कहा मेरे सामने स्वीकृत देने वाले को आज्ञा दूंगा।
➡️ कबीर परमेश्वर का पुत्र काल भगवान हम सभी हंस आत्माओं के पास आये।
पूर्ण ब्रह्म कबीर जी ने कहा जो हंस आत्माएं हमारे सामने हाथ खड़ा करके स्वीकृत देगी उसको तुम्हारे साथ जाने के लिए आज्ञा दे दूंगा।
काफी समय तक सन्नाटा छाया रहा उसके बाद एक हंस आत्मा ने हाथ खड़ा करके कहा मैं ज्योति निरंजन के साथ जाना चाहता हूं , फिर देखा देखी गई आत्माओं ने हाथ खड़ा कर दिया उसके बाद कबीर परमेश्वर ने उनके सभी के नंबर नोट किए जो सर्वप्रथम हाथ खड़ा किया था उसको एक लड़की का रूप दे दिया उसका नाम प्रकृति ,दुर्गा ,आदि माया पड़ा । कबीर साहब ने सभी आत्माओं को अष्टांगिक दुर्गा के शरीर के अंदर प्रवेश कर दिया उसके बाद अपने पुत्र सहज से कहा इसको ज्योति निरंजन के पास छोड़ आओ सहज दास पिता के अनुसार ज्योति निरंजन के पास गया सहज सहज दास ने काल भगवान से कहा पिताजी ने लड़की के अंदर सर्व आत्मा प्रवेश कर दी है आप जितने जीव काहोगे यह लड़की अपने शब्द शक्ति से उत्पन्न कर देगी।
काल ब्रह्म अपने 21 ब्रह्मांड में आराम से रहता था सहज दास ने अपनी बहन ने अष्टगीं दुर्गा को जैसे ही उसके पास छोड़कर अपने घर को लौट आया तत्पश्चात काल ब्रह्म ने युवा लड़की को देखकर विषय वासना प्रवेश कर लिया और उसके साथ बलात्कार करने को ठानी ( विशेष :-पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर ने दुर्गा के शरीर में स्त्री- इंद्री नहीं रची थी )
➡️➡️जैसे ही काल भगवान दुर्गा के सामने दौड़ा दुर्गा ने अपना छोटा रूप बनाया काल भगवान के मुख में प्रवेश कर गई उसने अपना मुंह फैलाया था जैसे ही पेट के अंदर गई वहां से पूर्ण परमात्मा की पुकार करती है तत्पश्चात ए कबीर परमेश्वर ने अपने पुत्र का रूप बनाया जोगजीत के रूप में दुर्गा के पास पहुंचे और उसको पेट से निकाल दिया
➡️➡️ तत्पश्चात कबीर परमेश्वर ने काल ब्रह्म से कहा तुम्हें सत्यलोक से निकाला जाता है आज से तुम्हारा नाम कैल होगा तुम एक लाख मनुष्य प्राणियो को खाया करोगे तथा सवा लाख उत्पन्न किया करोगे 21 ब्रह्मांड सहित सतलोक से निकाला जाता है।
सहज दास द्वीप के पास से होते हुए 21 ब्रह्मांड बहुत तेजी गति से 1600 सौ संख कोष की दूरी पर स्थिर हो गए।
➡️➡️ विशेष विवरण:- अब तक तीन शक्तियों का विवरण आया है ।
१ -पूर्ण ब्रह्मा जिसे अन्य उच्च नामों से जाना जाता है ➡️सत पुरुष ➡️अकाल पुरुष ➡️शब्द स्वरूपी राम, परम अक्षर ब्रह्म , पूर्णब्रह्म असंख्य ब्रह्मांड का स्वामी तथा वास्तव में अविनाशी है।
२- परब्रह्मा जिसे अक्षर पुरुष भी कहा जाता है यह वास्तव में अविनाशी नहीं है, यह सात संख ब्रह्मांडों का स्वामी है।
३- ब्रह्मा जिसे ज्योति निरंजन, काल ,कैल, क्षर पुरुष तथा धर्मराज आदि नामों से जाना जाता है जो केवल 21 ब्रह्मांड का प्रभु है ,अब आगे इसी ब्रह्मा काल की सृष्टि के ➡️एक ब्रह्मांड का परिचय दिया जाएगा जिसमें तीन और नाम आपको पढ़ने में आएंगे ब्रह्मा, विष्णु ,तथा शिव , ब्रह्म व ब्रह्मा में भेद एक करके ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव में रूप में रहता है अपनी पत्नी प्रकृत दुर्गा के सहयोग से तीन पुत्रों की उत्पत्ति करता है➡️ पुस्तक जीने की राह कि आपको लिंक दी जा रही है यहां से पुस्तक को डाउनलोड करके जानकारी लें और अपना मनुष्य जन्म भक्ति पर लगाकर सतलोक को प्राप्त करें।
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ReplyDeleteBahut hi accha
ReplyDeleteBilkul sahi ji...This is true knowledge.
ReplyDeleteWow awesome real spiritual knowledge...
ReplyDeleteKabir Avatar Prabhu। Satguru Rampal Ji Maharaj Bharat mein taj Ke Hain
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