World top bhakti E Ramanand & Kabir Sajheb

"स्वामी रामानंद उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद ,काशी के प्रसिद्ध ब्राम्हण।
 कबीर साहेब से आध्यात्मिक भक्ती ज्ञान चर्चा किया " ⬇️⬇️📚 😱😱



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कबीर साहेब द्वारा बोली गई वाणियांं जो कि आज वर्तमान समय में सबके हित के लिए है, और यह अनमोल छुपा हुआ ज्ञान आज तक दबा रहा, इसलिए इन नकली धर्मगुरुओं ने समाज तक आध्यात्मिक दिशा ना देकर गलत दिशा समाज में दिया, जिससे लोग समझ नहीं पाए, स्वामी रामानंद द्वारा कबीर साहेब से जो ज्ञान चर्चा हुई उसका जिक्र कबीर सागर में मिलता है, कुछ वर्षों बाद कबीर सागर में मिलावट कर दी गई, जिसके बाद परमात्मा हरियाणा के गरीब दास जी महाराज को मिले, और उनको "सतलोक" लेकर गए, जिसके बाद एक ग्रंथ लिखा गया, उस ग्रंथ में यह प्रमाणित होता है, कि कबीर साहब और रामानंद से ज्ञान चर्चा होने के बाद परमात्मा से साक्षात्कार हुआ और गुरु शिष्य का नाता निभाया। ⬇️⬇️

 Kashi Vidhan Pandit Swami Ramanand cost said Kabir Sahib

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https://www.jagatgururampalji.org/gyan_ganga_english.pdf




👍👍 इस ज्ञान को पढ़ने के बाद आपके मन का सारा भ्रम दूर हो जाएगा 😱😱

 रामानंद अधिकार सुनि, जुलहा अक जगदीश। दास गरीब विलंब ना, ताहि नवावत शीश।।
 रामानंद को गुरु कहें, तन से नहीं मिलात। दास गरीब दर्शन भये, पैड़ी लगी जुं लात।।
पंथ चलत ठोकर लगी, राम नाम कहीं दीन। दास गरीब कसर नहीं, सिख लई परवीन।।
आडा पडदा लाय करि, रामानंद बूझंत। दास गरीब कुलंग छबि, अधर डाक कूदंत।।
 कौन जाति कुल पंत है, कौन तुम्हारा नाम। दासगरीब अधिन गति बोलत है बलि जांव।।
कौन जाति कुल पंथ है, कौन तुम्हारा नाम। दास गरीब अधीन गति, बोलत है बलि जांव।।
 जाति हमारी जगतगुरु, परमेश्वर पंथ।दास गरीब लिखित परै, नाम निरंजन कंत।।
रे बालक सुन दुर्बद्धि, घट मठ तन आकार। दास गरीब दरद लग्या, हो बोले सिरजनहार।।
 तुम मोमन के पालवा, जुलहै के घर बास। दास गरीब अज्ञान गति, एता दृढ़ विश्वास
मान बडाई छांडि करि, बोलौ बालक बैंन। दास गरीब अधम मुखी, एता तुम घट फैंन।।
तर्क तलूसैं बोलते, रामांनंद सुर ज्ञान। दास गरीब कुजाति है, आखर नीच निदान।।

Parmeswar kabir ji politely replied
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महके बदन खुलास कर, सुनि स्वामी प्रबीन। दास गरीब मनी मरै, मैं आजिज आधीन।।
मैं अविगत गति सै परै, चार वेद से दूर।दास गरीब दसों दिशा, सकल सिंध भरपूर।।
सकल सिंध भरपूर हूँ, खालिक हमरा नाम। दासगरीब अजाति हूँ, तैं जूं कह्या बलि जांव।।
जाती- पाती मेरे नाही, नहीँ बस्ती नही गाँव। दास गरीब अनिंन गति, नहीँ हमरे नाम।।
नाद बिंद मेरे नहीं, नहीं गुदा नहीं गात। दासगरीब शब्द सजा, नहीं किसी का साथ।।
सब संगी बिछरु नही ,आदी अंत जाहिं। दास गरीब सकल बसू, बाहर भीतर माहीं।।
ए स्वामी सृष्टा मैं, सृष्टि हमारै तीर। दास गरीब अधर बसूं, अविगत सत्य कबीर।।
पोहमी धरनि आकाश मैं, मैं व्यापक सब ठोर। दास गरीब न दूसरा, हम समतुल नाही और।।
हम दासन के दास हैं, करता पुरुष करीम। दासगरीब अवधूत हम, हम ब्रह्मचारी सीम।।
सुनी रामांनंद राम हम, मैं बावन नृसिंह।दास गरीब कली कली हमहि से कृष्ण अभंग।।
हमहीं से इंद्र कुबेर हैं, ब्रह्मा बिष्णु महेश। दास गरीब धरम ध्वजा, धरणि रसातल शेष।।
सुनि स्वामी सति भाखहुँ, झूठ न हमरै रिंच।दास गरीब हम रूप बिन, और सकल प्रपंच।।
गोता लाऊं स्वर्ग सैं, फिरि पैठूं पाताल। गरीबदास ढूंढत फिरूं, हीरे माणिक लाल।।
इस दरिया कंकर बहुत, लाल कहीं कहीं ठांव। गरीब दास माणिक चुगैं, हम मुरजीवा नांव।।
मुरजीवा माणिक चुगैं, कंकर पत्थर डारि। दास गरीब डोरी अगम, उतरो शब्द अधार।।
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If you are asking my caste, then I am Jagatguru (in Vedas, it is written that God Kabir is the Jagatguru who imparts knowledge to the entire creation). What is my Panth (path)? (The path to which God do I show?) My Panth is that of Parmeshwar. I have come to show the path to that Supreme Power i.e. Parmeshwar who is the Creator of the infinite crore brahmands and is the Sustainer; who has been referred by the names KavirDev, Kaviragni etc in the Vedas.

True bhagti Marg 📓📓

बोलत रामांनंद जी, हम घर बडा़ सुकाल।गरीबदास पूंजा करैं, मुकुट फही जदि माल।।
सेवा करौं संभाल करि, सुनि स्वामी सुर ज्ञान।गरीबदास शिर मुकुट धरि,माला अटकी जान।।
 स्वामी घुंडी खोल करी फिरि माला गल डार। गरीब दास जी भजन कूूं ,जानत है करतार।।
ड्यौढी पडदा दूरि करि, लीया कंठ लगाय। गरीबदास गुजरी बौह
Swami Ramanand Ji’s Visit to Satlok
सुनि बच्चा मैं स्वर्ग की कैसे छाडों रीत। गरीब दास गुदरी लगी, जन्मजात है बीत।।
च्यारि मुक्ति बैकुंठ मैं, जिन की मोरै चाह। गरीबदास घर अगम की, कैसैं पाऊं थाह।।
हेम रूप जहां धरणी है, रतन जडै बौह शोभ। गरीब दास बैकुंठ कूं, तन मन हमरा लोभ।।
शंख चक्र गदा पदम हैं, मोहन मदन मुरारि। गरीबदास मुरली बजै, सुरगलोक दरबारि।
दूधौं की नदिया बगैं, सेत वृक्ष सुभान। गरीबदास मंडल मुक्ति सुर्गापुर अस्थान।।
रतन जडाऊ मनुष्य हैं, गण गंधर्व सब देव। गरीबदास उस धाम की कैसैं छाडूं सेव।।
ऋग्वेद युज साम अथर्ववेद, गावैं चारों वेद। गरीबदास घर अगम की,कैसे जानो भेद।।
च्यारि मुक्ति चितवन लगी, कैसैं बंचूं ताहि। गरीबदास गुप्तारगति, हमकूं द्यौ समझाय।।
सुरग लोक बैकुंठ है, यासैं परै न और। गरीब दास षट्शाष्त्रा, च्यारि बेद की दौर।।
च्यारि बेद गावैं तिसैं, सुरनर मुनि मिलाप। गरीबदास धु्रव पोर जिस, मिटि गये तीनूं ताप।।
 प्रह्लाद गए तिस लोकहूं, सुरगा पुरी समुल।
गरीब दास हरि भक्ति की ,मैं बंचत हूं धूल।।
बिंद्रावन गये तिस लोककूं, सुरगा पुरी समूल। गरीबदास उस मुक्ति कूं, कैसैं जाऊं भूल।।
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Satguru video video watch again Swami Ramanand Kashi Shahar Uttar Pradesh । debate Sahib Kabir 
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