Magar Leela God Kabir
"कबीर परमेश्वर सतलोक स्थान से इस पृथ्वी लोक पर चारों युग में रूप बदल कर आते हैं और नेक आत्मा को मिलते हैं"
1- सतयुग में "सत सुकृत "नाम से कबीर परमेश्वर इस पृथ्वी मंडल पर आते हैं।
2- त्रेता युग में "मुनिंद्र " नाम से कबीर परमेश्वर इस पृथ्वी मंडल पर आते हैं।
3- द्वापर युग में "करुणामय " में नाम से इस पृथ्वी पर आते हैं।
4- कलयुग में पूर्णब्रह्म कबीर परमेश्वर "कविर देव" के नाम से इस पृथ्वी पर मंडल पर प्रकट होते हैं।
"पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर अविनाशी प्रभु है, इनका शरीर बिना नाड़ी तंत्र के बना हुआ है"
कलयुग में "कविरदेव" सतलोक स्थान से आकर काशी स्थान पर लहरतारा तालाब में नवजात शिशु रूप में प्रकट होते हैं, समय संवत् 1455, सन् 1398 में प्रभु का आगमन लहर तारा तालाब नामक स्थान पर हुआ, जहां पर नीरू व नीमा निसंतान दंपति ने प्रभु को कमल के फूल से उठाया था।
नीरू और नीमा यह तो पहले ब्राह्मण थे, और भगवान शंकर की पूजा किया करते थे, काशी के कुछ नादान धर्मगुरुओं ब्राह्मणों के द्वारा नीरू और नीमा को मुसलमान बना दिया था, अधिक जानकारी के लिए हमारी ब्लॉग पोस्ट पर पुस्तक अपलोड है, इसको डाउनलोड करके जरुर पढ़ें।
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