Who Is Kaal


#Who_Is_Kaal
 
काल की परिभाषा :- सर्वप्रथम आप सृष्टि रचना से प्रमाणित ग्रंथ पढेंगे फिर आप इस विषय पर विचार 
रेंगे कि वर्तमान काल, भूतकाल ,भविष्य काल यह जो समय सीमा 21 ब्रह्मांड मेंं निर्धारित किया गया है , इसका मालिक काल  Kaal ही था, और यह पूर्ण परमात्मा के इच्छानुसार ही वितरण किया गया है, सबसे पहले परमात्मा अनामी लोक में रहते थे, उन्होंने स्वयं इच्छा प्रकट की जिसके
 बाद तीन लोक का निर्माण हुआ अगम लोक,
 अलख लोक, सत्यलोक,
जिसमे प्रभु की अगमलोक में एक बाल की रोशनी खरब सूर्य से ज्यादा मानी जाती, अलख लोक में अरब के अनुसार माानी जाती, सतलोक में एक करोड़ से ज्यादा प्रकाशन मानी जाती है,
प्रभु ने अपने इच्छा अनुसार समय को विचरण किया सतलोक में आकर परमात्मा कबीर देव ने एक राजेश्वरी राष्ट्री शक्ति प्रदान की और जिसके बाद प्रभु ने 16 ब्रह्मांड की रचना करी, सतलोक में मानसरोवर भी है जहां से प्रभुु ने अन्य देवताओं की रचना भी की थी व फिर इनमेें बने हुए ब्रह्मांड को अलग अलग कर दिया,
यहां पर प्रभु ने एक आत्मा उत्पन्न किया उस आत्मा को मानसरोवर में डाला जिसके बाद वहां से काल 1 पुत्र उत्पन्न हुआ, और वहीं से एक दूसरा पुत्र उत्पन्न हुआ, अधिक जानकारी नीचे पुस्तक में देंगे जिसे आप पढ़कर ज्ञान को समझेंगे
(नोट :- वेद भी प्रमाणित करते हैं ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अथर्ववेद, सृष्टि रचना की जानकारी, यज्ञ और धर्म की जानकारी शामिल है)
यह लेख सत्य प्रमाणित प्रभु का दिया हुआ है,कृपया इस लेख को पूरा पढ़ें और नीचे दी गई लिंक में पुस्तक ज्ञानगंगा जीने की राह को अवश्य पढ़ें और संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर अपना अनमोल जीवन सफल करें।
सतलोक के 16 पुत्र में एक पुत्र अचिंत है जिसको कविर प्रभु ने सतलोक में कार्यभार को सौंपा था,
काल प्रभु का रहस्य यह एक अंडे से उत्पन्न किया हुआ प्रभु कबीर ने थोड़ा सा अमृत जल लेकर उसमें आत्मा प्रवेश की जिसके बाद हथेली पर रखकर एक अंडा बनाया अंडे को मानसरोवर में छोड़ दिया, अंडा जो गड़गड़ करता हुआ 
 (अचिंत ने एक सहयोगी पुरुष उत्पन्न किया था उसका नाम अक्षर था)
मानसरोवर के अंदर जा पहुंचा वहां पर एक पुरुष लेटा था उस पुरुष ने अंडे गौर से देखा तो अंडा फट गया जिसके बाद वहां अंडे से एक पुरुष निकला उसका नाम कैल रखा गया,( इसका नाम ज्योति निरंजन भी है) आगे चलकर यह काल  कहलाया।
कैल पुरुष ने कुछ इच्छा प्रकट की इसने तप किया जिससे कबीर प्रभु खुश होकर इसको 21 ब्रह्मांड दान में दे दिया, और प्रभु ने सतलोक में एक आत्मा को सुंदर स्त्री बना दिया उसका नाम दुर्गा रखा।
कैल प्रभु उस समय सतलोक में रहता था अचिंत के देश में ,जिसके बाद इसको जगह है थोड़ी कम लगी इसके बाद उसने तप करके 21 ब्रह्मांड प्राप्त कर कुछ प्रभु से याचना की और पांच तत्वों और आत्मा मांगे ,जिसके कुछ वर्षों पश्चात प्रभु ने प्रसन्न होकर इस दे दिया।
सतलोक में सूर्य चंद्रमा नहीं है, वहां पर धरती स्वयं प्रकाशित होती है, वहां पर सर्व सुख है वहां शरीर अजर और अमर है।
हम अपने लेख पर आज काल के विषय पर टिप्पणी लिख रहे हैं कैल प्रभु, और दुर्गा यह दोनों सतलोक में बने 21 ब्रह्मांड में रहते थे, कैल प्रभु ने दुर्गा को सुंदर स्त्री रूप में देख कर उस पर लालच आ गया और उसकी तरफ दौड़ा उसको पकड़ना चाहा तभी दुर्गा जी इस कैल के पेट में समा गई,
दुर्गा जी पेट के अंदर से अपने पिता को पुकार की, 
काल ने दुर्गा के साथ ही सतलोक ने गलत कार्य किया जिसके परिणाम स्वरुप इसको सतलोक से निकाल दिया गया,
कबीर परमेश्वर के बताए समय दुर्गा और काल को सतलोक से निकाल लिया गया।
हम अपने संक्षिप्त लेकर आंसर काल के विषय का जिक्र किया अधिक जानकारी के लिए आप निम्न पुस्तकों को पढें 
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