Festival true in the all world time off region


 जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।
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1- भ्रष्टाचार खत्म करना।
2- आध्यात्मिक दिशा दे कर प्रभु को प्राप्त कराना।
3- दहेज प्रथा लेनदेन को खत्म करना।
4 - अश्लील नाच गाना डांस इत्यादि बंद करना।
5-  विश्व में रिश्वतखोरी- घूसखोरी बंद करना।
6- मानव समाज में नशा पदार्थ को बंद करके एक स्वच्छ समाज तैयार करना।
7- प्रभु कौन है? कहां रहता है ?कैसे मिलेगा? किसने देखा है ?इन सभी के निष्कर्ष  प्रमाणो के साथ देना।
8 - ब्रह्मा विष्णु महेश दुर्गा यह कौन है ?कहां रहते हैं? किसने देखा है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर का पूर्ण ज्ञान देना

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 सभी से निवेदन है कि :-  विशेष सभी त्योहारों (पर्व) मनोरंजन व स्वतंत्रता के रहस्य का उजागर
 हिंदू। मुस्लिम। सिख। ईसाई। जैन सभी पर विचार का छुपा रहस्य का खुलासा !!!
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" यूट्यूब चैनल पर बहुत सारी वीडियो में पड़ी हुई है जिन्हें आप देखकर समझ सकते हैं संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनकर 
साधना टीवी चैनल रात्रि 8:30 से 9:30 तक 
 सतलोक आश्रम Facebook पर सत्संग सुनने के लिए
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 spiritual leader Sant Rampal Ji
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 (Adhik Jankari ke liye comment Karke message prapt Karen)


 विशेष भारतवर्ष से लगाकर पूरी दुनिया में जो त्योहार मनाए जाते हैं उनका विशेष कारण क्या है? आइए जानते हैं इस ब्लॉग के द्वारा

" तत्वज्ञान संदेश "
आदि में प्रभु कबीर जी ने सभी ब्रह्माड़ो की रचना की प्रभु ने उस स्थान का नाम रखा "सतलोक" जहां पर कोई दुख और कष्ट नहीं है, वहां पर ना जन्म और मृत्यु होती है, सतलोक में प्रभु कबीर जी स्वयं स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं, और वह इस पृथ्वी पर चार युगोंं में प्रकट होते हुए एक कवि की भूमिका निभाकर सत्य ज्ञान बताते हैं,
 मनुष्य समाज द्वारा ग्रहण किया जाता है।
भगवान कबीर जी स्वयं सृष्टि रचना का ज्ञान सतलोक से चलकर इस पृथ्वी पर आकर बताते हैं, व तत्वदर्शी संत भी होते हैं, जिनके प्रमाण श्रीमद भगवत गीता अध्याय 4 श्लोक संख्या 34 में बताया गया है,
श्रीमद भागवत गीता अध्याय 15 श्लोक नंबर 1 से 5 प्रमाणित देखें उल्टा लटका हुआ संसार रूपी वृक्ष पीपल का पेड़ कहा गया इस वृक्ष में पत्ते से लगाकर जड तक जो सभी विभागों को बता दे वह तत्वदर्शी संत ने बताया है।👇

  कोई भी त्यौहार जैसे देश की स्वतंत्रता, रक्षा बंधन, होली, दीपावली, ईद, बकरीद, मोहर्रम, क्रिसमस डे सर्व त्यौहार जब सभी मनाते हैं,
 इन सभी त्योहारों पर एक पूर्वजों का रहस्य छिपा हुआ है।
जब कोई धर्म नहीं था तो सिर्फ आदि सनातन मानव धर्म था उस समय कोई भी जाति बंधन धर्म मजहब नहीं था, 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जैन यह धर्म जब नहीं थे तब कौन था ? आइए विस्तार से जानते हैं।
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 पुराणों में एक जानकारी मिली है, जिसमें लिखा है कि ब्रह्मा जी के पुत्र नारद जी व्यास जी उनके शिष्यों ने सवाल किया कि सर्व सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की है ? या किसी अन्य ने यह बताने की कृपा करें?
 नारद जी कहते हैं उस समय हमने अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछा था तब ब्रह्माजी हिचकने लगे :- अर्थात (नारद पिता ब्रह्मा से वार्तालाप जी ) यह कहा कि यह हमें विगत वर्षों से यह नहीं पता है कि सृष्टि की रचना किसने की ! मैं तो कमल के फूल पर बैठा था जब बड़ा हुआ तो मेरे सामने ऊपर से आवाज आई कि सृष्टि की रचना करो जब मैंने कहा कि मैं तो कमल के फूल पर बैठा हूं यहां सब जल है ! मैं काहे की सृष्टि की रचना  करूं धरती दिखाई नहीं देती यहां सिर्फ जल ही जल है !
  यहां पर एक सवाल खड़ा होता है ! जब ब्रह्मा जी को यह नहीं पता कि धरती कहां है ? फिर इन नकली विद्वानों ने ब्रह्मा विष्णु शंकर की पूजा और दुर्गा पूजा कहां से चला रखी है?
सतयुग के विद्वान पूर्ण ज्ञानी नहीं थे इसलिए जो पाया वह लिख दिया, इन्होंने इन पुराणों से छोटे-छोटे प्रश्नों को कट करके उत्तर निकाले और समाज के सामने पूजा विशेष मानने को मजबूर किया, क्योंकि इन्होंने पूर्ण परमात्मा संत रूप में आए हुए की बात को नहीं मानी थी।

नोट :- चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण वेद व्यास जी द्वारा लिखित सद ग्रंथ हैं जिन वेदव्यास जी ने संस्कृत में शाष्त्रो को लिखा वेद व्यास जी के शरीर के अंदर काल ब्रह्म प्रवेश हो ज्ञान बोल गया और उस समय यह सारे पुराणों की रचना की गई।
 यह यह ज्ञान पूर्वजों का है अर्थात सतगण  कि  ब्राह्मणों  द्वारा लिखा गया है,
 ब्राह्मण उसे कहते हैं जिसको सत्य ज्ञान हो लेकिन यह अविद्वान रहे इन्होंने जितना पाया संकेत में उतना ही लिख दिया
"पांचवा सूक्ष्म वेद है स्वयं प्रभु इस पृथ्वी पर आकर यह वेद की जानकारी देते हैं, इन्हें बाखबर & तत्वदर्शी संत बताया गया है, जिसको वेद और गीता, बाईबल, कुरान शरीफ ,गुरु ग्रंथ साहिब पुस्तक में बताया गया, यह जानने के लिए आप ज्ञान गंगा और जीने की राह पुस्तक को पढ़ें
"

 सत्य ज्ञान देने के लिए प्रभु स्वयं तत्वदर्शी संत बनकर इस पृथ्वी पर आकर अपना मूल ज्ञान बताते हैं 
"शिक्षित समाज से अनुरोध है कि संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान अवश्य पढ़ें जो प्रमाणों के साथ में दिया जा रहा है
संत तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य:- समाज में फैली हुई बुराइयों को खत्म करना जैसे चोरी, जारी ,दहेज ,धूम्रपान ,अश्लील नाचना गाना, रिश्वत देना इन अनेक बुराइयों को सत्य ज्ञान के द्वारा  मानव समाज की बुराई खत्म करना ही है,
 संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य लोगों में भक्ति का बीज डालकर उस एक प्रभु से साक्षात्कार दर्शन कराना जिसके लिए हमारे पूर्वज हजारों वर्षों तक तपस्या करते रहे और यह प्रभु नहीं प्राप्त कर पाए आज वह प्रभु आपके सामने एक तत्वदर्शी संत की भूमिका निभाकर ही आए हैं।

"पूरण प्रभु कबीर है जो सभी आत्माओं का पिता है जिसका प्रमाण सभी धार्मिक शास्त्रों में मिलता है, और यह प्रभु स्वयं तत्वदर्शी संत बनकर इस पृथ्वी पर आते हैं"


 चार वेद का सारांश श्रीमद्भगवद्गीता जिसको भारत सहित अन्य धर्म गुरुओं द्वारा अनुवाद किया गया है और इसी गीता में प्रमाणित संत रामपाल जी द्वारा अनुवादित भाषा भाष्य में प्रमाण मिला कि प्रभु कबीर है जो सर्वोच्च उत्पादक सर्व ब्रह्मांड की रचना करने वाला कबीर देव ही है।


  यह शास्त्र पूर्वजों के लिखे हुए हैं इन शास्त्रों में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज द्वारा अनुवाद किया गया है,
 जिसको ब्राह्मणों, विद्वानों ,नबियों, काजी ,मुल्लाओं द्वारा पहले ही लिखे गए थे और अनुवाद भी किया था,
लेकिन इन्होंने अनुवाद को ठीक नहीं किया है,
जिसके लिए प्रभु खुद अवतरित हुए हैं,
 इन शास्त्रों में जैसे बाइबल, कुरान शरीफ, गुरु ग्रंथ साहिब ,श्रीमद्भगवद्गीता इन सभी का निष्कर्ष संत रामपाल जी महाराज द्वारा समाज में दिया जा रहा है जो आज सिर्फ समाज ने सत्य ग्रहण किया है, और संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़कर नाम दीक्षा लेकर उस परमात्मा के मार्ग पर चल रहे हैं, जो प्रभु कबीर सतलोक में रहता है।
दूसरे रूप में वह चलकर भी आता है जिसका प्रमाणित अर्थ वेद में बताया गया है।

  रक्षाबंधन, होली, दीपावली, ईद, बकरीद, क्रिसमस डे इन त्योहारों से निष्कर्ष नहीं निकलता है,
 ये त्योहारों से सिर्फ याद करते हैं कि उस समय कुछ मनाया गया था,
 लेकिन हमें पूर्वजों के किए गए त्यौहारों से निष्कर्ष जानना जरूरी है कि हम उस मार्ग पर चल रहे हैं यह मार्ग सत्य है या गलत !
 "Sant Rampal Ji Maharaj ke Niyam mein meet mans khana Pratibandh hai"


  फिर यह त्यौहार जो हमें याद के रूप में एक ढाल बनकर सामने आ जाता हैं और यह हर साल होता है,
ये  सभी धर्मों में! 
तो फिर हमें सभी धर्म वालों को यह जानना जरूरी है कि वास्तव रूप प्रभु कौन है? जिसने सभी ब्रह्मड़ो व आत्मा की रचना करके इस धरती पर आकर सत्य ज्ञान बताया है
नोट :-  आने वाले समय में या वर्तमान समय में जो भी बहन भाई हमारे इस मैसेज को पढ़ता है और पढ़ने के बाद उसको आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है तो फिर संत रामपाल जी महाराज जी  से नाम दीक्षा जरूर लेना और मानव कल्याण करा कर इस धरती से छुटकारा करके उस सतलोक में रहना जहां से यह आत्मा आई थी और वहां पर मनुष्य नर और नारी के रूप में विराजमान रहते हैं।
 सतलोक एक ऐसा स्थान है जो स्वर्ग, महास्बर्ग से करोड़ों गुना अच्छा है,
 और यहां पर सर्व सुख सुविधा वस्तुएं फ्री मिलती है यहां पर मनुष्य का जन्म और मृत्यु नहीं होता है,

संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक की पीडीएफ फाइल की लिंक नीचे दिए जा रही है, जिसे सबसे पहले आप खुद पढ़ें 
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जब आपको पूर्ण विश्वास हो जाए कि परमात्मा इस धरती पर आए हैं 
तो फिर देर मत करना नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे फार्म की लिंक दी गई है, इस लिंक को क्लिक करें जिस पर संत रामपाल जी महाराज द्वारा कुछ दिशा निर्देश दिए गए हैं,
 वह आपको अंतिम सांस तक निभाना होगा,
संत रामपाल जी महाराज द्वारा नाम दीक्षा लेने के लिए वीडियो व्हाट्सएप कॉलिंग के द्वारा दी जाएगी, 
घर बैठे एंड्राइड - आईफोन के द्वारा नाम दीक्षा प्राप्त करें।
👇👇🤳🤳

 
Sat Saheb 🙇

  

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