श्राद्ध पिंडदान गीता साधना विरुद्ध 2020 स्पेशल पोस्ट वीडियो
"भाद्र का महीना कैसा रहेगा? "
श्राद्ध पिंडदान वेद के विरुद्ध साधना मानव समाज में एक गलत धारणा फैल चुकी है जिसका जीता जागरण उदाहरण।
तत्वज्ञान से जाना गया है, आइए श्राद्ध के विषय पर कुछ टिप्पणी देखते हैं।
श्राद्ध पिंडदान करना उचित है या नहीं ?
जीवत बाप से लठठ्म लठ्ठा, मूवे गंग पहुंचईयां।
जब आवे आसोज का महीना, कौवा बाप बनाईयांं।।
भावार्थ :- परमेश्वर कबीर जी ने लोक वेद में दंतकथा के आधार से चल रही पितर तथा भूत पूजा पर शास्त्रोक्त तर्क दिया है,
शास्त्रोक्त अध्यात्म ज्ञान के अभाव से बेटा अपने पिता से कुछ विरोध करते हैं व पिता और बेटा दोनों में यह विरोध होता है।
पिताजी जी अपने अनुभव के अनुसार से बेटा से किसी काम से टोका टोकी करते हैं।
पिताजी को पता है कि बेटा को इस कार्य करने से हानि हो सकती है।
परंतु पुत्र पिता की शिक्षा को कम बाहर को ज्यादा महत्व देता है।
वाणी संख्या के अनुसार पुत्र पिता में झगड़ा होता रहता है।
पुत्र को यह ज्ञान नहीं होता है कि पिता जैसा हमदर्द है पुत्र नहीं होता है ( क्योंकि पुत्र पिता का प्रेम अधिक अधिक होता है)
पुत्र बाहर समाज की स्थितियों से अवगत होकर एक नशेड़ी की तरह हो जाता है, और शिष्टाचार कम हो जाता है।
पुत्र कोई धंधा पानी करता इसमें हानि उठाता है पिता उसको समझाता है लेकिन पुत्र अपने हठ से नहीं मानता है
"पिता अपने पुत्र को समझाता है पुत्र नहीं मानता है बाद में लठ्ठम- लठ्ठा होता है"
इस तरह से समय बीतता जाता है पिता पुत्र भक्ति नहीं करता और अंत में दुर्गति को प्राप्त होता है
अधिक जानकारी के लिए पुस्तक अंधश्रद्धा भक्ति खतरा जान नीचे लिंंक दी जा रही है जिसकी पीडीएफ डाउनलोड करके जरूर पढ़ें
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यह हिन्दी पुस्तक है
https://www.jagatgururampalji.org/andh_shradha_khatra_e_jaan.pdf
अन्य इंग्लिश और हिंदी पुस्तक की नीचे लिंक दीजिए उस पर क्लिक करके पुस्तक डाउनलोड करें।
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वेद में कर्मकांड करना मूर्खों के साधना कहा है, गीता अध्याय 16 के श्लोक नंबर 23 में मनमाना भक्ति विधि करने वाले को गलत बताया है, इसलिए तत्वदर्शी संत आकर पूरेेे समाज को तत्वज्ञान बताकर भक्ति मार्ग्ग दिशा देतें हैैंं।
नीचे दी गई वीडियो को जरूर देखें
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