मकर संक्रांति व लोहड़ी पर विषेश सच्

 "काल ब्रह्म ( ज्योति निरंजन व क्षर पुरुष )के द्वारा बनाया सुनियोजित जीवों को फंसा रखने का जाल रूपी त्यौहार "


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लोग मकर संक्रांति 14 जनवरी) लोहरी( 13 जनवरी) का पर्व साल में एक बार  जनवरी के महीने में मनाते हैं,

👉📓  श्रीमद्भगवद्गीता कहती है कि कर्म कर फल की अपेक्षा ना कर कर्म करेगा तो फल अवश्य मिलेगा ! लेकिन  गीता अध्याय 15 के श्लोक नंबर 1 से 4 में यह भी लिखा है कि शास्त्र अनुकूल कर्म करना फल की अपेक्षा लाभदायक है 

( अर्थात शास्त्र अनुकूल साधना सिंचित भक्ति रूपी पौधा सीधा पौधे को संचित कर्म करने से फल अवश्य प्राप्त होगा )

👉📚 श्रीमद भगवत गीता अध्याय 4 श्लोक नंबर 34 में तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से फल प्राप्त होगा यह भी बताया गया है।

👉📓 श्रीमद भगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक नंबर 32 में सच्चिदानंद घन ब्रह्म की वाणी सूक्ष्म वेद की वाणी में जो निष्कर्ष बताया गया है वह मनुष्य के गुणो के लिए लाभदायक है।

👉 📚 मनुष्य के शरीर में क्या-क्या गुण होते हैं सबसे पहले यह जानकारी होना अति आवश्यक है जैसे कि रजोगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शंकर जी का निवास भी मनुष्य के शरीर में बने कमलों के द्वारा मनुष्य को प्राप्त होता है, वह शक्ति निकलकर वह हमारे मुख के सामने गुण रूप प्रतीत होते हैं अर्थात जो शब्द निकलता है वह गुण का ही स्वभाव ही जान यह मनुष्य का प्रथम कर्तव्य समझें

सच्चिदानंद घन ब्रह्म अर्थात तत्वदर्शी संत के द्वारा बोली गई वाणी 👇

 जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा।

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा 


"अर्थात हम सभी मनुष्य प्राणी एक ही प्रभु की संतान है, और हमारा धर्म भी जीव से संबंध रखता है"

" हिंदू ,मुसलमान ,सिख, ईसाई ,बौद्ध ,जैन यह काल के द्वारा फैलाया हुआ एक अलग अलग से धर्म और जाति का संबंध सूचक चिन्ह है ! जो आज हमारे समाज में गलत दिशा दे रहा है और गलत साधना (नियम) बता रहा है लेकिन शास्त्र क्या कहते हैं ?

 यह जानने के लिए ज्ञान गंगा पुस्तक को जरूर पढ़ें " 



👉 सनातन धर्म ग्रंथ चार वेद ऋग्वेद ,यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।

👉 पांचवा  वेद सच्चिदानंद घन ब्रह्म की वाणी से बोला हुआ सूक्ष्म वेद जिसे तत्वज्ञान के रूप में पूर्ण परमात्मा तत्वदर्शी संत बनकर समाज में बताता है, वह ज्ञान गीता वेद में छुपा लिखा हुआ है।

👉  चार वेद से निष्कर्ष श्रीमद भगवत गीता में लिखा और इस ग्रंथ में तत्व ज्ञान छिपा जिसकी सच्चाई बताना एक परमार्थ कार्य होता है जो संत स्वयं आकर इस पृथ्वी मंडल पर बताते हैं,

👉और संत कबीर वाणी, कबीर दोहों, कबीर साखी, लोकोक्तियों, मुहावरों के माध्यम से भी बताते हैं जिसका निष्कर्ष कबीर सागर ग्रंथ में लिखा हुआ है ,

अधिक जानकारी के लिए "जीने की राह " ज्ञान गंगा पुस्तक को पढें।

 ज्योति निरंजन के बड़े पुत्र ब्रह्मा रजोगुण के द्वारा रज बीज व शूक्ष्म रस से मनुष्य सृष्टि की उत्पत्ति की गई व अन्य सृष्टि जीव कर्म आधार से उत्पन्न होते हैं।

 ज्योति निरंजन के दूसरे पुत्र विष्णु जी सतोगुण के अनुसार सभी जीव में मोह ममता और माया उत्पन्न होती है।

ज्योति निरंजन के तीसरे पुत्र शंकर जी सतोगुण तमोगुण के अनुसार लोगों में तामस गुण उत्पन्न होता है, अर्थात क्रोध अहंकार घमंड इत्यादि के रस प्रवेश होते हैं।

नोट :- अधिक जानकारी  ज्ञान गंगा पुस्तक में ग्रहण करें



 खोज करने पर पता चला कि लोग अनाज की कटाई और बुवाई पर अच्छी पैदावार के रूप में आग जलाकर आपस में इकट्ठा होते हैं, और अपना नाच गाना के रूप में मिलाई करते, और मिष्ठान खाकर स्वागत करते हैं।

" इस काल प्रभु के लोक में लोग खुशी क्यों मनाते हैं आखिर ऐसा क्यों? और जब दुख होता है तो प्रभु को याद करते आखिर ऐसा क्यों? नीचे दी गई पोस्ट को जरुर पढ़ें "

"सूर्य चंद्रमा पृथ्वी आकाश पाताल सर्व ब्रह्मांड की रचना सर्वप्रथम किस प्रभु ने की ? अधिक जानकारी के लिए ज्ञान गंगा पुस्तक में पढ़े "

2- मकर संक्रांति सूर्य देवता के उपलक्ष में एक शुभ राशि के रूप में हमारे नकली धर्मगुरुओं ने यह समाज में बात रखी।

"मनुष्य के जीवन में शुभ लाभ और हानि दो प्रकार हानी दो प्रकार के पहलू है जिसे मनुष्य अपने जीवन में ग्रहण करता है"

"मनुष्य की मृत्यु का क्या ठिकाना उसकी मौत किस समय हो जाए यह उसके कर्म के अनुसार संभव है "

 नोट:- कर्म किसके द्वारा बनाए गए सर्वप्रथम अधिक जानकारी के लिए पुस्तक ज्ञान गंगा को पढ़ें 


क्या सूर्य देवता की साधना और गंगा स्नान करने से हमारे पाप धूल जाते हैं ? अधिक जानकारी के लिए ज्ञान गंगा पुस्तक पढ़ें




[पूरे विश्व में तत्वदर्शी संत सच्चिदानंद घन ब्रह्म एक सतगुरु के रूप में आकर ज्ञान बताता है उस ज्ञान को लेखक द्वारा लिख लिया जाता है जिसे आगे चलकर समाज में अवगत कराया जाता है]

नोट :- सतयुग त्रेता युग द्वापर युग कलयुग इन चार युगों की जिंदगी 4320000 वर्ष शास्त्र वेदों गीता में वर्णन  दिया गया है।


 "ब्रह्मा ज्योति निरंजन क्षर पुरुष जिसको श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान कहा है, यह 21 ब्रह्मांड का मालिक है"

ब्रह्मा ज्योति रंजन के 3 पुत्र है जिनका नाम ब्रह्मा विष्णु महेश है ज्योति निरंजन को कबीर प्रभु से प्राप्त शक्ति के अनुसार इसके पास 3 गुण और पांच तत्व मौजूद हैं जो अपने पुत्रों को देकर स्वर्ग से महा स्वर्ग और पृथ्वी तक लेकर शक्ति प्रदान करता है,

रजोगुण शक्ति में ब्रह्मा जी, सतोगुण शक्ति में विष्णु जी और तमोगुण शक्ति में शंकर जी का निवास होता है, इनकी माता दुर्गा जी है, और पिता ज्योति निरंजन है।

अधिक जानकारी के लिए नीचे हम पुस्तक की लिंक देते हैं उसको डाउनलोड करके जरूर पढ़ें और कुछ से फोन नंबर फोटोज पिक्चर पर दिए हुए हैं जिसको आर्डर करके आप पुस्तक प्राप्त कर सकते हैं, और उसमें छुपा हुआ रहस्य पढ़ सकते हैं कि सच्चाई का क्या यह अंंत रहा है,




 "जिस तरह से पूर्व प्रभु (सबसे बड़ा भगवान जो किसी मां के पेट से जन्म नही लेता)) द्वारा एक संत के रूप में इस धरती पर बताना विषेश तत्व शब्द में रहा है"

"जिसे शास्त्रों में बा खबर तत्वदर्शी संत परमेश्वर गुरु के रूप में जाना जाता है"

【हमने प्रभु को अलग-अलग रूपों के नाम से नाम रख दिए सभी धर्मों में 】


"दोस्तों त्यौहार कोई भी हो उसका विशेष रूप से कोई कारण होता है जब किसी भी समय में कोई कार्य होता या उसका विशेष समागम होता तो उस याद के उपलक्ष में इकट्ठा होकर त्यौहार के रूप में याद के रूप में मनाते हैं इसलिए यह त्योहार मकर संक्रांति और लोहरी के रूप में लोग भारत में बनाते हैं"

प्रभु की सभी आत्माएं वह चाहे सूर्य हो चाहे चंद्रमा या पृथ्वी यह एक मिट्टी का गोला है लेकिन सर नेम के साथ देव भी शब्द जुड़ा रहता है जैसे सूर्य देव, चन्द्र देव, अग्नि देव , जल देव,

गोलाकार एक ब्रम्हांड व तरल या गर्म पदार्थ है,

 जो एक तत्व का बना है, और पाांच तत्व से मनुष्य शरीर भी बनाया गया है"

देवता हो या फिर मनुष्य शरीर के अंदर एक आत्मा प्रवेश होती है वह आत्मा एक नूरी तत्व शरीर और पांच तत्व शरीर का पुतला बनकर शक्ति के अनुसार चल फिर कर एक दूसरे से बात करती और आपस में मिलती है चाहे वह वृक्ष हो या फिर मनुष्य या फिर पशु पक्षी सभी के शरीर में आत्मा प्रवेश है"


मकर के दिन कुछ जो नौजवान युवक कुछ बच्चे आकाश में पतंग उड़ा कर खुशियां प्राप्त करते हैं कुछ कंपटीशन करते हैं उसमें जीत हार का बदला जो होता है उस सर्त के अनुसार पैसा प्राप्त करते हैं।

अर्थात एक जीत हार( एक जुआ) संबंधित मकर संक्रांति का त्योहार  हुआ।

लाभ क्या होता है ?

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"श्रीमद् भागवत गीता अध्याय नंबर 16 श्लोक 23, 24 में प्रमाण है कि जो लोग शास्त्रों की विपरीत विधि से  मन माना आचरण करते हैं उसको लाभ सिद्धि नहीं प्राप्त होती"

आखिर यह प्रश्न श्रीमद्भगवद्गीता में क्यों कहा गया है? कुछ तो कारण होगा इसीलिए समझ में यह अध्याय के श्लोक में बताया गया है?

त्यौहार कोई भी हो आखिर हम सभी धर्मों के लोग क्यों मनाते हैं?

त्योहार मनाने का एक मूल उद्देश्य कि हमारे पूर्वजों ने कौन सी साधना की ! जिससे उसको सुख प्राप्ति हुई अर्थात उसको लाभ हुआ, लेकिन यह लाभ उसको उसके पूर्व जन्मों की कमाई का है।

सतयुग में वह लोग जन्म लेते हैं जिनके अच्छे संस्कार होते हैं , 

जिसके बाद वह लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं,

फिर कर्म आधार से जन्म भी मिलता है,

 इसी प्रकार  त्रेता युग में भी लोग जन्म लेते हैं, 

द्वापर में भी जन्म लेते हैं, 

कलयुग में भी जन्म लेते हैं,

 लेकिन पिछले संस्कारों की वस मनुष्य को लाभ मिलता है, 

यह लाभ और हानि मनुष्य के दो पहलू हैं !

✍️✍️

 जब मनुष्य को लाभ मिलता है तो वह सुखी होता है** 😊

लेकिन जब मनुष्य को हानि होती है तब वह दुखी होता है"""😢

पाप और पुण्य से मनुष्य को लाभ और हानि की विस्तृत जानकारी के लिए सद्गगुरू की आवश्यकता होती है,

जब मनुष्य पर कोई संकट आता है तो बुद्धिमान गुरुओं के पास जाकर अपना समाधान करते हैं,

लेकिन जब मनुष्य सुख प्रतीत करता है तो संत गुरु नबियों को भूल भी जाता है,

 ऐसा ही सतयुग से इस कलयुग तक होता आ रहा है।

मनुष्य को कितनी बार जन्म लेना पड़ता है यह विचार धारणा सभी को करनी चाहिए और सोचना चाहिए कि अन्य जीव जैसे की चींटी हाथी कीड़े मकोड़े पेड़ पौधे यह लख चौरासी प्रकार के जन्म क्यों प्राप्त करते हैं ?

नोट :- क्या हमारे धर्म गुरुओं ने जो विद्या का पाठ पढ़ाया और जब हम मृत्यु को प्राप्त किए तो यह अगला जीवन (जन्म) हमें क्या मिला ?

इस पर विचार करना चाहिए 👌👌

"सतयुग में राक्षस कहलाने वाले लोग इस कलयुग में ब्राह्मण माने जाते हैं जिसका प्रमाण" देवी पुराण पुस्तक में आज भी प्रमाणित लिखा है"

सतयुग के लोगों को कितना ज्ञान था उन्होंने भगवान को सही ढंग से नहीं पहचाना ? क्योंकि पिछले जन्मों से उनको सुख था।

📓🌴 अंत की कुछ शब्दों की लाइन को जरूर पढ़ें और पुस्तक "जीने की राह" व "ज्ञान गंगा" को जरूर पढ़ें

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 ब्रम्हा विष्णु महेश्वर यह तीनों देवा दिल में बसे। प्रथम इनकी वंदना सुन सतगुरु उपदेश।।

"हमारे मनुष्य शरीर में देवताओं के कमल चक्र होतें हैं  यह कमल चक्र सतगुरु से नाम दीक्षा लेने के बाद साधना करके कमल चक्र खुलते हैं, जिससे हमारी बुद्धि का चक्र खुलता है और आगे का रहस्यमयी ज्ञान होता है"

✍️👍👍👍

1- क्या ज्योति निरंजन को सत्य का ज्ञान था? 

2- क्या इनके पुत्र ब्रह्मा विष्णु महेश को सत्य का ज्ञान था? 

3- क्या इनकी माता दुर्गा को कि सत्य का ज्ञान था ?

4-  क्या अक्षर पुरुष ( परब्रह्म)को सत्य ज्ञान था ?

5- क्या परम अक्षर ब्रह्म (सत्य पुरुष सत्य कबीर) को सत्य ज्ञान था?

6- क्या वर्तमान में पूरे विश्व में के काजी,  नकली संत ,महंत फकीर इन सभी को सत्य ज्ञान था?

7- क्या आज वर्तमान में सत्य ज्ञान सिर्फ संत रामपाल जी महाराज के द्वारा ही सत्य है ?

8- क्या अन्य सभी धर्म के धर्म गुरुओं के पास सत्य ज्ञान सत्य है ?

9- आर्त ,अर्थाथी ,जिज्ञासु और ज्ञानी यह चार प्रकार के लोग भगवान की खोज और सिद्धि भक्ति करके अपना परिवार का पालन पोषण  व भगवान की प्राप्ति करने की इच्छा रखते हैं।

10 - सही ब्रह्मांड सही ज्ञान की जानकारी देने के लिए किस गुरु की खोज करनी चाहिए ?

11- क्या हमारे धर्म गुरुओं की बताई हुई साधना से हमारा मोक्ष प्राप्ति व सुख साधन और कल्याण का रास्ता मिलेगा ?

12-  कर्म बंधन से छुड़ाने वाला विश्व का सबसे पहला बड़ा सतगुरु कौन है? जो आकर समाज में सत्य ज्ञान बताता है ? 

13 - क्या धन प्राप्ति व आराम से मनुष्य जीवन का कल्याण होगा?

14-  क्या नास्तिक बन जाने से हमारा उद्धार होगा या फिर हमारा अगला जन्म क्या तय होगा?

15-  संसार के जो लोग पूजा और साधना करते रहते हैं क्या सत्य साधना के बिना उस मनुष्य का कल्याण होगा?

16 -  साधना और पूजा में अंतर क्या होता है हमारे धर्म गुरुओं ने किया पाठ पढ़ाया ?

📚🙇 🎤 👇👇

सतयुग से इस कलयुग तक छुपा हुआ सत्य ज्ञान को हम खोज और पड़ताल करके वह भक्ति कर अनुभव से प्राप्त किया और जाना जिसका प्रमाण नीचे दि गई पुस्तक है।

🎤"आज साइंस भी खोज और पड़ताल में लगातार प्रयास कर रही है "

"जिसका अनुभव पत्र टेलीविजन न्यूज सूचना के माध्यम से तक जन-जन तक प्राप्त हो रहा है"

🙇🙏🙏

इसी सत्य ज्ञान को बताने के लिए आज हम साइंस उपकरण जैसे:- मोबाइल, टेलीविजन, डीवीडी,समाचार पत्र, पुस्तक, PDF के माध्यम से आपको दे रहे हैं।

सभी शास्त्रों से प्रमाणित शब्दों से निष्कर्ष लिखा गया है, जीने की राह" ज्ञान गंगा."

जिसके लेखक दास संत रामपाल जी हैं।

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यह सब तथ्यों को जानने के लिए दी गई PDF

 पुस्तक लिंक ओपन कर पुस्तक डाऊनलोड करें 

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सत् संदेश प्रभु का हम आपके साथ हैं

सभी आत्मा एक प्रभु की है 

सत् साहेब 

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