कबीर साहब का चरित्र

"कबीर जी कौन है कहां रहते थे किस तरह से मिलेंगे सभी प्रकार की शंका समाधान जीने की राह व ज्ञान गंगा पुस्तक में पढ़े"

कबीर वाणी 

पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।

 ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।

"तत्वदर्शी संत रामपाल जी के द्वारा अध्यात्मिक भक्ति मार्ग को ग्रहण करें"

"कबीर साहेब का जिक्र कबीर सागर ग्रंथ में पूर्ण रूप से विद्यमान है"

"कबीर जी का अवतरण 1398 काशी उत्तर प्रदेश लहरतारा तालाब कमल के फूल पर सतलोक से अवतरण "

कबीर साहेब एक कवि के रूप में भी जाने जाते हैं, कबीर साहेब की भूमिका भारत से लगाकर ईरान इराक ,पाकिस्तान, सऊदी व अन्य देशों में भी है वह अन्य नामों से भी जाने जाते है, इनको al-khair भी कहा जाता है,

कबीर साहिब एक कवि की भूमिका भी करते थे,

 और भगवान कौन है इसका प्रचार प्रसार भी जन जन तक सत्संग के माध्यम से दोहों लोकप्रिय मुहावरों के माध्यम से लोगों तक सुनाया करते थे।

कबीर साहेब का पृथ्वी पर "अवतार (आना) समय

"वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब का जन्म किसी माता के गर्भ से नहीं होता है"

(कृपया "जीने की राह" पुस्तक से अध्ययन करें)

कबीर साहब कलयुग में उत्तर प्रदेश काशी शहर गंगा नदी के पास मानसरोवर बने लहरतारा तालाब कमल के फूल पर नवजात शिशु रूप में सन 1398 पूर्णमासी का दिन नीरू नीमा जुलाहा पति पत्नी को मिले,

उस समय कबीर साहिब नवजात शिशु के रूप में थे,

नीरू नीमा नाम के दो पति पत्नी थे जो हिंदू से मुसलमान बना दिए गए थे नीरू का नाम गौरी शंकर और नीमा का नाम सरस्वती था यह दोनों पति पत्नी काशी शहर में रहते थे और भगवान शंकर के उपासक थे भगवान शंकर की कथा सुना कर अपना गुजारा करते थे जो दाने करता होता था शेष बचे धन का भंडारा करते थे।

नीरू नीमा नामक दंपत्ति मुसलमान थे जोकि इनका पिछला नाम गौरी शंकर -सरसवती यह दोनों ब्राह्मण थे और कुछ मुसलमानों ने इनको जबरदस्ती जल छिड़क कर मुसलमान बना दिया/

गौरीशंकर सरस्वती काशी शहर में सत्संग कथा पाठ भगवान शंकर की किया करते थे जो भी धन इकट्ठा होता था उससे अपना पेट का गुजारा करते थे शेष बचे हुए का भंडारा करते थे, 

गौरी शंकर ब्राह्मण जाति  से थे  जो इनका नाम पूरी काशी शहर में छा गया।

गौरीशंकर ब्राह्मण से अन्य ब्राह्मणों द्वारा नफरत किया जाना और अपने धर्म से निकाल कर दूसरे धर्म में करना।

गौरीशंकर ब्राह्मण से अन्य ब्राह्मण ईर्ष्या करते थे क्योंकि गौरीशंकर ब्राह्मण से लोग कथा ज्यादा सुनते थे और लोग कथा करने को अपने घर में बुलाते थे इसलिए अन्य ब्राह्मण नफरत करने लगे,

अन्य ब्राह्मणों द्वारा नफरत किए जाने से गौरी शंकर को दूसरे धर्म में जाने के लिए योजना बनायी

काशी के कुछ नकली ब्राह्मण जो भगवान से परिचित ना होने के कारण है अपनी महिमा का गुणगान किया करते थे वहां के कुछ मुसलमानों से मिलकर गौरीशंकर और सरस्वती के घर पर जबरदस्ती मुसलमान द्वारा जल छिड़क दिया गया और कुछ जल गौरी शंकर और सरस्वती के मुख पर लगा दिया गया।

योजना के तहत किया गया काम गौरी शंकर के साथ

यह बात का मुसलमान और ब्राह्मणों को पता था क्योंकि गौरी शंकर से यह लोग जलते थे और कथा का पाठ बंद करना था, उस समय गौरीशंकर सरस्वती गंगा स्नान करने भी जाते थे, इन नकली ब्राह्मणों को यह मालूम था कि जब यह कथा नहीं करेगा और अपना धर्म परिवर्तन करेगा तो फिर गंगा स्नान भी इसका कराना बंद कर दिया जाएगा, और कथा भी नहीं करेगा, जिससे नकली ब्राह्मणों का फायदा होगा इसलिए सारी योजना बनाकर गौरी शंकर को बदनाम किया।

गौरीशंकर सरस्वती को जबरदस्ती मुसलमान बना दिया गौरी शंकर का नाम नीरू उर्फ नियामत अली सरस्वती का नाम नीमा रखा गया इस तरह  नीरू नीमा विख्यात हुए।

नीरू नीमा दोनों भगवान शंकर का की पूजा करते थे जिस समय यह दोनों मुसलमान भी बना दिए गए थे उस समय भगवान शंकर की याद करते थे एक बार की बात है नीरू नीमा दोनों स्नान करने ब्रह्म मुहूर्त अर्थात( सूर्य उदय के पहले कहा जाता है) मानसरोवर लहरतारा तालाब पर जा रहे थे और भगवान शंकर को याद कर रहे थे कि प्रभु एक मेरे भी औलाद होती तो मेरा वंश चलता यह चर्चा करते हुए जा रहे थे।

 नीरू नीमा जुलाहा दंपति थे अर्थात दोनों पति-पत्नी की कोई संतान नहीं थी।

नीरू नीमा जुलाहा दंपत्ति का ब्राह्मणों के द्वारा घर से निकाल दिया गया और गंगा स्नान करना बंद कर दिया गया, 

 गंगा से 1 किलोमीटर लहरतारा तालाब है जो गंगा का पानी तालाब में भरने के कारण उसका लहरतारा तालाब पड़ा और वहां पर स्नान करने जाते थे,

नीरू नीमा नामक जुलाहा दंपति को स्नान करने के बाद कबीर जी शिशु रूप में कमल के फूल पर मिले और उनको घर लेकर आए वहां से सारी काशी के लोग भी देखने आए।


"सन 1398 पूर्णमासी ब्रह्म मुहूर्त को कबीर जी शिशु रूप में सतलोक से कमल के फूल पर विराजमान हुए थे "

कबीर जी एक कवि के रूप में जाने जाते हैं और सतगुरु के रूप में भी माने जाते हैं लेकिन कबीर Ji की उपाधि परमात्मा की भी मानी जाती है,

इसलिए कबीर जी का नाम वेद शास्त्र में मिला है"

"कबीर जी संसार में आकर सभी को सत्य ज्ञान दिया, परमात्मा के सुख दुख लाभ होनेेेेे के लक्ष्य अच्छे बुरे लोगो तक अवगत कराया"

कबीर जी से सही ढंग से परिचित ना होने के कारण नकली काजीयों पीरों हिंदू गुरुओं ने कबीर जी का विरोध किया 

"कबीर जी का नाम वेदों में कविर देव है"

"कबीर जी का नाम बाइबल कुरान में भी प्रमाण है"

"कबीर जी का नाम गुरु ग्रंथ पाठ पुस्तक मे भी प्रमाण है"

"कबीर जी का नाम कबीर सागर में विख्यात है जो पुस्तक धर्मदास से वार्तालाप होने के बाद लिखी गई"

अधिक जानकारी के लिए दी गई पुस्तक जरूर मंगवा कर पढ़ें और अपने मनुष्य जन्म का मूल कर्तव्य समझकर भक्ति अवश्य करें

"मनुष्य जन्म का मूल कर्तव्य प्रभु बना है"

"वर्तमान कबीर साहेब का अवतार संत रामपाल जी सतगुरु रूप में है यह तत्वदर्शी संत भी है"

नोट :- सतगुरु से नाम दीक्षा प्राप्त करने के लिए नीचे दी गई लिंक को क्लिक करके अपना रजिस्ट्रेशन कराएं ,दिए हुए नियम को फॉलो करें

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