बॉलीवुड व सत्संग की विशेषताओं को जानिए

बॉलीवुड  व सत्संग विशेषताएं जानिए अब" 

 बॉलीवुड पर टिप्पणी :-

"बॉलीवुड के अभिनेता हीरो और हीरोइन व अन्य कलाकारों का चरित्र मानव समाज में इस तरह से कार्य कर रहा है जैसे की जल में लाल हरा पीला नीला गुलाबी रंग डाल दो तो पानी का रंग के पानी अनुसार हो जाता है "

मानव समाज में फैली एक प्रथा जो है फिल्म इंडस्ट्रीज इन की बड़ी-बड़ी कंपनियां जो अरबों रुपयों का व्यापार करती है और इनसे जो मुनाफा होता है  यह लोग उससे अपना जीवन यापन करते हैं और अपना अपने परिवार की रोजी रोटी का पालन पोषण करते हैं इससे हो रहा है इनका फायदा।

फिल्म बनाने के बाद समाज में पहुंच जाती है जब यह फिल्म टेलीविजन पर चालू की जाती है उस समय गांव शहर नगर के लोग देखने के लिए जाते हैं, जिससे लोगों पर यह असर पड़ता है कि फिल्म में क्या-क्या बताया गया और इससे हमें क्या लाभ मिल रहा है,

1995 के पहले से गांव नगर में कितने टेलीविजन थे और किस तरह से पिक्चर फिल्म बना करते थे और हमारे समाज के लोग देखकर इसका लाभ लेते थे इस विषय पर हम विचार करते हैं कि

  हम सब विचार करते हैं लेकिन क्या इससे हमे लाभ मिलेगा? क्या हमारे परिवार के कष्ट दूर होंगे? या फिर हमारी बहन बेट सुरक्षित होंगी?

या फिर हमारे घर के छोटे-छोटे बच्चों का विकास होगा जो यह लोग कार्टून पिक्चर फिल्म दिखाकर समाज में गलत दिशा प्रदान कर रहे हैं बॉलीवुड के लोग ?

इन बॉलीवुड के लोगों पर प्रश्न उठाना लाजिमी हो गया है क्योंकि इन लोगों ने समाज को अच्छी दिशा देने के बजाय गलत दिशा देकर एक विश घोल रखा है जैसे :- जल में रंग मिलाने से जल रंग की तरह हो जाता है।

यह एक प्रश्न सूचक चिन्ह उठ गया समाज में, शिक्षकों व समाज के लोगों के लिए " आज अध्यापक स्कूल में बच्चों का पाठ्यक्रम करते हैं बच्चों को शिक्षा देते हैं और बच्चों को विकास की तरफ ले जाते हैं,

विद्यालय में अध्यापक बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर बच्चों को विकास की तरफ ले जाते हैं की इसलिए कि हमारा बच्चा समाज में विकास का कार्य करेगा, झूठ नहीं बोलेगा, किसी से रिश्वत नही लेगा और ईमानदारी करके सरकार की नौकरी को निभाएगा यह कदम मात पिता और अध्यापक के होते हैं"

 तो दूसरी तरफ फिल्म इंडस्ट्रीज के लोग समाज में नाना प्रकार की पिक्चर एडवर्टाइज करके हमें किस प्रकार का संदेश देते हैं जैसे कि :- तंबाकू, सिगरेट, शराब गुटका,अफीम,पहनना व अन्य सभी प्रकार के दिखावे देते हैं जिससे हमारी बहन बेटी पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है यह हम स्वयं विचार करते हैं कि कितना सही है यह फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड कि लोग !




हमारे बच्चों का इतिहास इस तरह से बिगड़ चुका है कि समाज में जब बच्चे बड़े होते हैं तो सिगरेट तंबाकू गुटखा शराब अफीम चरस गांजा ताश जुआ खेलना पिक्चर फिल्म देखना यह हमारे और हमारे बच्चों में आदत पड़ गई है, इस तरह की गलत लटें तरह विश घोल रही हैं समाज में।

बॉलीवुड बॉलीवुड के एक्टर हीरो हो या हीरोइन किसी भी फैक्ट्री में जाकर किसी भी इंडस्ट्रीज में जा कर दो पैसे लेकर समाज में गुटके का प्रचार करते हैं शराब बेच का प्रचार करते हैं अफीम अगवा अन्य गलत कार्य का प्रचार करते हैं क्या इस कदम पर हम चलकर हमारे संस्कार बन सकते हैं क्या हमारी भारतीय संस्कृति सोने की चिड़िया हो सकती है?  यहां पर एक प्रश्न उठता है कि इस तरह से समाज में गलत दिशा अगर चलती रहेगी तो समाज कभी नहीं सुधरेगा? हम और हमारे बच्चे बच्चों में बर्बादी अवश्य ही प्राप्त होगी?

बॉलीवुड का दूसरा दिखावा हमारी भारतीय संस्कृति पर पड़ा हुआ है जैसे कि डिजाइन कपड़ों का संस्कार जो हमारी बहन बेटियों की इज्जत पर एक सिर दर्द बन चुका, यह कपड़ा जो नाना प्रकार की डिजाइन दे रहा है इसका जिम्मेदार सिर्फ बॉलीवुड है? जो टेलीविजन मोबाइल के प्लेटफार्म के द्वारा दिखाकर प्रचार करते हैं? और अपने धंधे चला रहे हैं,

क्या ऐसे प्रचार करके नाना प्रकार के फिल्म पिक्चर बनाकर अपने जीवन संस्कार को आप लोग बचा सकते हैं ? फिर आपके बच्चे अपने जीवन में परिवर्तन कर सकते हैं?

अगर आपने अपने बच्चों में गलत दिशा प्रदान किए तो सही दिशा प्रदान करने के लिए सत्संग ज्ञान की आवश्यकता होगी जिससे होगा विकास और प्रभु की प्राप्ति।

समाज में लोग छोटे हो या बड़े अर्थात उद्योगपति हो या गरीब, इज्जत सभी की प्यारी होती है, इसलिए बॉलीवुड के सितारे हो या आम नागरिक मंत्री हो या राजा इज्जत सभी की प्यारी होती है ऐसे अश्लील कपड़े जो समाज में इज्जत ना देकर एक गलत दिशा प्रदान करते हैं इस तरह से कपड़ों को त्याग देना चाहिए और एक साधारण कपड़े बनाकर अपने शरीर को ढकना चाहिए ताकि समाज में मिले अपना सम्मान और मिले अपने शरीर की इज्जत, बहन हो या बेटी भाई हो या माता पिता हो या बाबा ताऊ साधारण कपड़े पहन कर समाज की शोभा बढ़ाते हैं,

नशा करता है नाश"

नशा चाहे तम्बाकू, शराब ,सुल्फा ,अफीम, हीरोइन आदि-आदि किसी का भी करते हैं यह आपको सर्वनाश का कारण बनेगा, नशा सर्वप्रथम इंसान को शैतान बनाता है फिर शरीर का नाश करता है, शरीर के महत्वपूर्ण अंग है फेफड़े, लीवर, गुर्दे ,हृदय सर्वप्रथम शराब इन चारों अंगों को खराब करती है, सुल्फा (चरस) दिमाग को पूरी तरह नष्ट करता देता है, हिरइन शराब से भी अधिक शरीर को खोखला करती है,

अफीम से शरीर कमजोर हो जाता है,

अपनी कार्यशैली छोड़ देता है अफीम से चार्ज होकर चलने लगता है, रक्त दूषित हो जाता है,

इसलिए इन पदार्थों को गांव नगर में नहीं रखना चाहिए,

घर में तो बिल्कुल नहीं रखना चाहिए।

हरियाणा प्रान्त राज्य  (भारत) से संत गरीबदास जी जो परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त की वाणी का जिक्र करते हैं जो इस तरह से

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भांग तंबाकू पीवैं ही, सुरापान से हेत।

गोसत मिट्टी खाकर, जंगली बने प्रेत।।

गरीब,पान तंबाकू चाबहीं, सांस नाक में देत।

 सो तो अकार्थ गए, ज्यों भड़भूजे का रेत।।

भांग तंबाकू पीवहीं, गोसत गला कबाब।

मोर मृग कूं भखत हैं, देंगे कहां ज़बाब।।

भांग तम्बाकू पीवते, चिसम्यों नालि तमाम।

साहिब तेरी साहिबी जानें कहां गुलाम।।

गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी ना बाहय।

गरीबदास इस दूध को, सभी आत्मा खाए।।


भवार्थ :- उपरोक्त वाणियों का भावार्थ है कि मानव शरीर को ऑक्सीजन की आवश्यकता है उसके स्थान पर तंबाकू का धूंआ कार्बन डाइऑक्साइड प्रवेश करता है तो उनको खांसी रोग हो जाता है पित्त तथा बाई का रोग हो जाता है, हुक्का पीने वालों को बैठने का स्टाइल बताया है कि दूर-दूर बैठते हैं और हुक्का सरकाते है और गुरण गुरण करते हुए धुंआ निकालते हैं, आप तो हुक्का पीकर डूबे हैं और अपने बच्चों को भी डूबा रहें हैं ,

जो लोग तंबाकू पीते हैं उनके भाग्य फूटे हैं और अन्य लोगों को तंबाकू पीने के लिए कहते हैं यह कितना पाप है?

शिक्षा प्राप्त करने के बाद है अगर कोई मनुष्य सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर अपने जीवन में भक्ति नहीं करता तो व्यर्थ का जीवन जाता है, क्योंकि शिक्षा का मूल उद्देश्य है प्रभु की भक्ति करना इसलिए आज प्रभु ने सभी यंत्रों से आपके पास संदेश भेज रखा है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के द्वारा आपको संदेश मिलता है, अन्यथा पिछले 3 युग बीत चुके हैं सतयुग त्रेता द्वापर इन तीनों युगों में कितनी शिक्षा का अभाव था, आज प्रभु ने अपनी पहचान बताने के लिए शिक्षा का उद्देश रखा है।

 इसलिए भक्ति करना अनिवार्य है,और बाबू और प्रभु को प्राप्त करना अनिवार्य है जिससे होगा मानव जीवन का कल्याण है आने वाले लोगों का हुआ खात्मा प्राकृतिक आपदाएं आती हैं इन आपदाओं में कितने लोग बचते हैं यह अपने कर्म के अनुसार फलीभूत होता है इसलिए हमें सही दिशा सही मार्ग पर चलना चाहिए

सत्संग सुनने से मनुष्य जीवन के पाप कर्म कटतें हैं,

प्रतिदिन सत्संग सुनने से मनुष्य के जीवन में बदलाव होता है,

प्रतिदिन सत्संग सुनने से मनुष्य जीवन में रोगों का खात्मा भी होता है,

प्रतिदिन सत्संग सुनने से दैविक भौतिक वैदिक आपदाओं से मनुष्य का छुटकारा मिलता है।

सतगुरु की शरण में जाने के बाद सत्य ज्ञान का खुलासा शास्त्र अनुसर मिलता है।

क्या बॉलीवुड के लोग भी सुधर सकते हैं?

भक्ति करना कितना सही है ? यह विचार

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Bollywood ki picture film ka bahishkar Karen


देश दुनिया में बॉलीवुड के कलाकारों ने दुनिया के मानव समाज को गलत दिशा देकर प्रभु से दूर कर दिया है, इसलिए पिक्चर फिल्म का बहिष्कार करें







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1-जीने की राह पुस्तक ने तंबाकू की उत्पत्ति की कथा अवश्य जाने।

2-जीने की राह पुस्तक से तंबाकू पर विचार करने का उद्देश्य को अवश्य पढ़ें।

3-तंबाकू खाने से घोड़े भी नफरत करते हैं, इस कहानी को अवश्य पढ़ें

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हम सब एक प्रभु की संतान है हमारा उद्देश्य एक ही है वह है प्रभु की भक्ति करना जिसके लिए हम इस संसार में जन्म लेना पड़ा है अगर सत्य व्यक्ति नहीं की तो अगला जन्म लक चौरासी योनि में जाकर कुत्ते गधे गाय बैल भैंस घोड़े कीड़े मकोड़े जीव जंतु बनकर किए हुए पाप का कर्म भोगना पड़ेगा जिसका प्रमाण वेद शास्त्र गीता बाइबल कुरान इत्यादि देते हैं संतो ने आकर कहा है कि व्यक्ति कोई बुरा नहीं होता उसके आचरण पूरे होते हैं जो गलत दिशा पर चलता है भांग तंबाकू खाता है शराब पीता है मांस खाता है जीव हत्या करता है पिक्चर फिल्म देखता है उससे उसको पाप लगता है यह बात भक्ति मार्ग से मालूम होती है"

वेद परमात्मा का संविधान है।

परमात्मा स्वयं इस धरती पर आकर सत्य ज्ञान का प्रचार करता है।

पांचवा वेद क्या है? इस पर संत रामपाल जी महाराज के अमृत वचन जरूर सुने।

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संत रामपाल जी महाराज एक पूर्ण सद्गुरु है जो संसार में अवतार धारण करके पूरे विश्व समाज में फैली हुई कुरीतियों को खत्म कर रहे हैं अपने सत्संग अमृत वचन देकर,

दहेज जैसी कुरितियां का हो रहा है खात्मा।

बुराई को छोड़कर सत्संग में आ रहे हैं समाज के लोग

भक्ति करने से मोक्ष प्राप्त करने का मिलता है रास्ता।

धन्यवाद।



Comments

  1. Satsang se achche vichar sikhne ko milte hai or filmo se vatavarn ganda hota vichar bhi galat peda hote hai

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  2. हमे देखना चाहिए कि जो हमे सही मार्ग दर्शन दे रहा हो और जिस विषय के अभी तक कोई बताने वाला न था जब भी देखने
    को मिला गलत मार्ग अश्लील फिल्मो ने तो समाज को पूरी तरह गंदा कर रखा है जहां देखो असभ्यता, रेप हत्या कांड, ये सब बॉलीवुड फिल्मों को देखकर होता है तो हमे देखना चाहिए कि हमे सही ज्ञान और भक्ति सत्संग से मिलेगी और सत्संग पूर्ण गुरु का हो जी कि हमारी गीता जी में उस पूर्ण संत के विषय में जानकारी दी गई है।

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    हनुमान जी के गुरु कौन थे?
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